ચારણત્વ

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સોમવાર, 2 એપ્રિલ, 2018

सुमित्राबेन गढवी, मुंबई

https://youtu.be/rc20gc371Rk

मारा जीवनमां चारणी साहित्य नु महत्व अने समझण नानपण थी ज रह्यु।
शरुआत हती श्री खेतसिंह जी मिसण, (मारा नानाबापु) ना खोळामां बेसीने, श्रुति अने स्मृतियों नी वच्चे।
काचना कबाटमां डिंगळ साहित्य ना पुस्तकों अने राजस्थान ना प्रखर कवियो ना पुस्तक नी भरमाळ जोइने बालमन कुतूहल थी ए पुस्तकों ने जोइ रहेतु। अडवा नी सखत मनाइ। ☺

मोढेरा मां बाळपणमां वितावेल ए चारणी साहित्य ने जोवानो परंतु समज वगरनो समय अकबंध हजुये।

मुंबई मां मारा दादीमां बालुबा बाटी ना वादळी साडला वच्चे नी धार्मिक वातो। क्यारेक महाभारत तो क्यारेक रामायण नी वातो मां हनुमान जी नी लंका नी आग। क्यारेक आवडे एवी चरजो अने भावविभोर थइ गायेल लगन ना गांणा(लग्नगीतो) अने अजाणता संभळाता असल चारण भाषाना शब्दो। मारा नानीमां नी में करेली शरत के सुवा पहेला 2 वार्ता केहवी अने बा ने थोडी थोड़ी वारे आपवानो होंकारो (जागु छु)

आवा वातावरण मांथी धीरे-धीरे समझण थोड़ी पडवा लागी के आपणे चारण छीये एटले बहु साहित्य मां छंद अने कविता ना रचनाकार।  राजा रजवाडामां आपणां मान।
पहेली वार चारण होवानो गर्व ज्यारे कोलेज मां मारा गुजराती विषय ना गुलाबदास ब्रोकर नु मारा द्वारा पुष्पगुच्छ थी सन्मान, प्रोफेसर श्री यशवंत त्रिवेदी साहेब मने, गढवीबेन, करीने मान थी बोलावता त्यारे बीजा विद्यार्थियों सामे आपणो कोलर उंचो थइ जतो। 😄

चारणी साहित्य ना प्रखर कवियो मां मारे मन कागबापु (पद्मश्री दुला भाया काग) भगतबापु एटले एनाथी आगळ कशु नही।
मारा बापु अने गांधीबापु तथा भगत बापु आ सिवाय
बीजा कोई ने बापु ना ज कहु।

पण भगतबापु ना माटे बापु शब्द ए ज व्हाल थी मारा मनमां अंकित छेे जे मारा नानाबापु नी उंडी आंखो मां देखती, ए ज बाळक साथे बाळक थाय ए स्नेह।

भगतबापु नु एक भजन पग मने धोवा द्यो रघुराय मने ज्यारे दादी संभळावता त्यारे एक एक कडी,मां एक वारता रामायण नी कहेता कहेता बानी आंखो मां श्री राम प्रत्ये ना अहोभाव, क्यारेक राम वनवास नु दुख एमना आसुओमांथी रेडातु। अनायास मारी पण आंख ए भाव झीली लेती। 😒

श्री राम ना स्वयंवर वखते, बगीचामां  ज्यारे सीताजी ए प्रथम वार रामने जोया पछी आँख बंध करी देवु अने सखीए पुछवा पर ए अद्भुत प्रेम नी पहेली क्षण ज्या सिताजी कहे छे। 'सखी नैनमें प्रभु राम छबी, कहीं हर्षाश्रु से बह जायन कही"
आ हती एक दादीमां द्वारा अजाणतां ज आपेल प्रेम नी अनुभुति नु ग्यान। केटलु निर्मळ अने भावपूर्ण? 

अनेक प्रकारे चारण समाज द्वारा अने मारा कुटुंब द्वारा पयपान कीधु चारणी साहित्य नु परंतु हजु य एकडे एक जेटलु ज समजी छु।
चारणी साहित्य ना प्रखर ग्यानी अने चारणी साहित्य नी चालती फरती यूनिवर्सिटी एटले श्री यशवंत लांबा from जांबुडा 😄।
मारा माटे तो ए छे मारा आपा। आवा *प्रखर चारण* (हु मानु छु के जे प्रकारे चारण मां आनुवांशिक बुद्धि नु प्रगट होवु एटले प्रखर चारण शब्द ज योग्य। पछी त्यां बीजा विशेषज्ञ तरीके अथवा बिजा विशेषण वापरवा ए चारण नी खरी ओळख करतां नीचली कक्षा ना गणाय)
आपा नी मोकलेल अमुक,मार्मिक वातो फक्त बे के 3 वाक्य मां ज होय। अथवा बे फोटा मुकीने कटाक्ष मां वगर लखे कही नांखे।

अने तमने ए समझाइ जवी जोइये तो ज तमे ए वात सांभळवा अथवा वांचवा ने लायक कहेवाओ। हा।

आजे आ वात साथे एक लिंक मोकली छे, जे रेकॉर्ड थयेल कागबापु ने आंगणे, जे मने सांभळता सांभळता केटलीय अद्भुत लागणी अने भाव जाग्या के,मारी पासे एृ वर्णन करवाना शब्द ओछा पडे। आप सौ ने जोवा माटे अने सांभळवा के चारण ग्यान ना कोई बीजा मलकमां पर्याय नथी। फक्त अने फक्त मारा मादरे वतन भारत, मां ज छे।

श्री यशवंत लांबा साहेब, आप नु सन्मान करवानु मारु गजु नथी परंतु,
आपा, हु आजे शब्दसुमन थी  आप ने वंदन करु छु अने चारणी परंपरा परमाणे तमारां ओवारणां लउ। खंमा खंमा खंमा तमने।  जुग जुग जीवो चारण देव।

जय माताजी
सुमित्रा गढवी
मुंबई 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐

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