ચારણત્વ

" આપણા ચારણ ગઢવી સમાજની કોઈપણ માહિતી,સમાચાર અથવા શુભેચ્છાઓ આપ આ બ્લોગ પર પ્રકાશિત કરવા માગતા આ વોટ્સએપ ન.9687573577 પર મોકલવા વિંનતી છે. " "આઈશ્રી સોનલ મા જન્મ શતાબ્દી મહોત્સવ તારીખ ૧૧/૧૨/૧૩ જાન્યુઆરી-૨૦૨૪"

Sponsored Ads

શનિવાર, 15 ઑક્ટોબર, 2016

चारण गाथा

*चारण गाथा*

*कवाटर फाइनल माटे पसंदगी पामेला लोक गायक तारला लोक साहित्य*

*लोक साहित्य विभाग*

(1) धवलकुमार रणजीतसिंह गढवी - अमदावाद
(2) मनहरदान शिवदान गढवी - अमदावाद
(3) भद्रायु करणीदान गढवी - भुज
(4) विष्णुदान अनुपदान गढवी - भुज
(5) प्रताप रामभाई गढवी - भुज
(6) जीतुदान लक्ष्मणदान गढवी - महेसाणा
(7) मयुर जशाभाई गढवी - राजकोट
(8) जीलुदान आलाभाई गढवी - राजकोट

*टाइप बाय :- www.charanisahity.in*

*कवाटर फाइनल तथा सेमिफाइनलनुं सरनामुं*

ता. :- 24-10-2016

समय :- सवारे 12-00

*स्थळ :-*

श्री बाबा आंबेडकर टाउनहोल,
सेकटर-12, महात्मा मंदिर पासे गांधीनंगर

पह्मश्री दुला भाया कागनी कागवाणी

जय माताजी
ता.16-10-2016 अने रविवारना रोज सांजे *8 - 00 क़लाके GTPL डायरा चेनल* पर अने पुनः प्रसारण गुरूवार ता.20-10-2016 ना सांजे 8-00 क़लाके

*पह्मश्री दुला भाया कागनी कागवाणी*

*कलाकारश्रीओ*

(1) यशवंतभाई लांबा
(2) डॉ. निर्मळदान गढवी
(3) किशोर बारोट

GTPL चेनल नंबर :- 610

मोबाईल पर जोवा माटे :- Click Here

वधारे माहिती माटे :- डॉ.निर्मळदान गढवी मो :- 9898331769

*कागवाणी बधा सुधी पहोचाडवा बदल GTPL डायरा चेनलनो खूब खूब आभार*

    *Forward To All Friends & Groups*

       *वंदे सोनल मातरम्*

શુક્રવાર, 14 ઑક્ટોબર, 2016

चारण गाथा कवाटर फाइनल माटे पसंदगी पामेला लोक गायक तारला


चारण गाथा
कवाटर फाइनल माटे पसंदगी पामेला लोक गायक तारला

विभाग :- A (8 थी 16 वर्ष) पसंदगी पामेल

(1) जनक राणाभाई गढवी - वडोदरा
(2) तनय घनश्यामभाई गढवी - महेसाणा
(3) प्रविणा जबरदानभाई गढवी - महेसाणा
(4) हरिओम सुखदेवभाई गढवी - अमदावाद
(5) किशन जपुभाई गढवी - अमदावाद
(6) पार्थ सुरेशभाई गढवी - अमदावाद
(7) तीर्थदान प्रविणदानभाई गढवी - अमदावाद
(8) देवल वालजी गढवी - भुज-कच्छ
(9) प्रियांशी घनश्यामदानभाई गढवी - राजकोट
(10) खुशाल हितेशभाई गढवी -वडोदरा

विभाग :- B (17 थी 35 वर्ष) पसंदगी पामेल

(1) अभय हाजाभाई गढवी - राजकोट
(2) देव्याणी जगदीशदान गढवी - राजकोट
(3) रामदे नागाजणभाई गढवी - राजकोट
(4) कुलदीप लक्ष्मणभाई गढवी - राजकोट
(5) शकितदान नवलदानभाई गढवी - राजकोट
(6) जेठाभाई पबुभाई गढवी - राजकोट
(7) पुनम नाराणभाई गढवी - राजकोट
(8) हरी मोमायाभाई गढवी - भुज
(9) शकितदान जोवरदानभाई गढवी - भुज
(10) गोविंद आलाभाई गढवी - भुज
(11) जिग्नेश हरीभाई गढवी - भुज
(12) प्रविणदान रूपदानभाई गढवी - महेसाणा
(13) कुलदीप अमीरदानभाई गढवी -महेसाणा
(14) अरुण महेशदानभाई गढवी -  महेसाणा
(15) अभिषेक चेतनभाई गढवी - महेसाणा
(16) हितेश राघवदानभाई गढवी - महेसाणा
(17) बळवंत शंकरदानभाई गढवी - महेसाणा
(18) तृप्ती राजेन्द्रकुमार गढवी - वडोदरा
(19) कपिल हसमुखभाई गढवी - वडोदरा
(20) हार्दिक अरविंदभाई गढवी -वडोदरा
(21) जिज्ञेश भरतभाई गढवी - अमदावाद
(22) हेतल जीगरदानभाई गढवी - अमदावाद
(23) पार्थ दिलीपलदानभाई गढवी -अमदावाद
(24) विशाल शनिभाई गढवी -अमदावाद
(25) भैरव लाभुदानभाई गढवी - अमदावाद

टाइप बाय :- www.charanisahity.in

कवाटर फाइनल तथा सेमिफाइनलनुं सरनामुं

ता. :- 24-10-2016
समय :- सवारे 9-00
*स्थळ :-*
श्री बाबा आंबेडकर टाउनहोल,
सेकटर-12, महात्मा मंदिर पासे गांधीनंगर
नोंध :- लोक साहित्य विभागनुं परीणाम हवे जाहेर थाशे



ગુરુવાર, 13 ઑક્ટોબર, 2016

|| आई श्री मोगल चालिसा ||

आजे आसो सुद तेरस (ता.13-10-16) ऐटले आई श्री मोगल मांनो प्रागट्य दिवस  

                     || आई श्री मोगल चालिसा ||

घांघणीया देवसुर घर , मोगलनो अवतार .,
पाप प्रजाळण तुं मया , भूमि उतारण भार ......1
ओखा धऱ अवतार भो., घांघणीयाने द्वार ..
पिता देवसुर देवसम ., सुचारण पुरवार .........2
चतुरा चारण जातमां ,  मोगलरो अवतार ..
प्रेमे प्रगटी तुं मया , घांघणीयाने द्वार ........3
ओ्मकार बीज मंत्र तुं , सौर शक्ति स्वरुप ..
आधशक्ति तुं अवतरी , धरीयु मोगल रूप.......4
हिंगळाज आवड मया , करणी खोडल रुप , ..
शिवा अंबा चंडिका , काली रूप करूप ........5
धरा धरमने राखवा , आइ मोगल अवतार ,..
करवा रूडा कोडथी , चारण कनळ उध्धार .....6
समरो साचा दिलथी , आफत वखते आप ..
मोगल आवे मावडी , तुर्तज हरवा ताप .......7
मोगल एवा मावडी , अवतारी छो आप ..
स्मरण थाता मातनुं , जाय ताप संताप .....8
मांगल तुं मातेश्र्वरी , अळा परे अवतार ..
ओखाथी अवनी तणो , तुं पर माँ आधार ......9
सर्वोपरी समरथ मया , ओखा धर अवतार ..
चारण जात चतुरनी , तुं छो तारणहार .........10,
रवि उगमतो थंभीयो , आवड सरखी आप ..
वारुणी पल वारमां , बांये ग्रहीयो बाप .......11
मोगल मोटा महारथी , मोगल मोटा तात ..
मोगल मोगल समरता , अळगो करे आघात ........12
माँ माँ केंता आवीअे , जो नित तारे द्वार ..
तो तुं अंबा आपजे , पुरण प्रेम अपार .........13
क्रोधाग्नि एेक नयनमां , एेक नयन अमिरात ..
रीझे आपे राजवट , खीजे सघळु जात ...........14
दयावंत देवी वडा , तुं मोगल मां - बाप ..
तुं पालक पोषक सदा  ,  तुं टाळत भव ताप........15
सचराचर व्यापी मया , अणुं अणुंमा वास ..
परमाणुं पण तुं ज छे , विध विध तु ज प्रकाश .....16
जुग जुनी जगदंबिका , सृष्टी कारण रुप ..
ओखा धर प्रगटी मया , चारण कुळ अनु ........17
एेक हाथ त्रिशुळ पर , एेक हाथ तलवार ..
एेक हाथ वरदायनी , एेक शेष कूतकार ........18
भावे मोगलने भजो  ,  निशदिन राखो आश ..
दाढाळी दातार छे  ,  नाहि करे निराश .........19
आफत टाणे आवशे  ,  समर्ये थाशे सहाय ..
चोंपेथी वारे चडे , अे मोगल महमाय..........20
समर्ये थाती साबदी , तुं अावे ततकाळ ..
राखे मोगल रातदिन , छोरुनी संभाळ.........21
मोगल हैये आवता , सघळा जाय संताप ..
भागे मनना व्हेम सहु , भागे भयने साप .......22
मोगलना समरण थकी , पापी पावन थाई ..
अग्नानी ग्नानी बने , दु:ख दारीदर जाय ......23
मोगलमाँना समरणे , हैये थाय हुलास ..
अंतर उजवळ थाय ने , पुरण थाय प्रकाश ......24
तनया घांघणीया तणी , उमियानो अवतार ..
दैताने धमरोळवा , हाथ ग्रह्या हथीयार ........25
तनया घांघणीया तणी , कालि रुप क्रोधाळ ..
खडग खप्पर बेउ हाथमां , दैत्योनी अे काळ .....26
तनीया घांघणीया तणी ,  अंबा रुप अपार ..
पालक पोषक विश्र्वनि करुणाळी किरतार ......27
तनीया घांघणीया तणी , जान्हवी जोराळ ..
पापीने पावन करे , महिमा तुज विशाळ .......28
तनया घांघणीया तणी , नोधारा आधार ..
बुडताने बचावती ,  माँ तुं रक्षण हार ......29
घांघणीया अरू वांघीया , वळी चाटका साख..
त्रणे घरे तुं एेक रूप , लज्जा चारण राख ......30
गोरवीयाळे गोरवी , गीर काठानुं गाम ..
नरा चारणा नेहडा , मोगलना ज्या नाम ......31
तुं प्रसिध परमेस्वरी , मोगल मोगल मात ..
गोरवीयाळे गोरवी , ओखा धर प्रख्यात........32
अवनिपरे उजाळीयुं , गोरवीयाळी गाम ..
चारण धर्म निभावता ,  नवखंड राख्यु नाम .....33
बेठा दखणादा मुखे , निमवृक्षने छांय ..
छोरु पर राखत सदा , मीठी नजर महंमाय.....34
गोरवीयाळे गढवीर , नरा साखमां नाम ..
आवी उज्जवळ ओरडे , शोभाव्यु निज धाम ....35
पहाडो मोटो नेचडो , चारण समडा माय ..
मोगल मोटी मावडी , समर्ये हाजर थाय......36
पवाडे मोगल प्रथम ,  देवा दानव दंड ..
करे सवारी सिंह पर , खळभळता नव खंड....37
असरो पर हांके असि , देवा मृत्यु दंड ..
क्रोधारी कोपे खरी , रगदोळे रुंड मुंड ........38
पापीने पुरा करे , असुरोने पण आई ..
सत््नी तुं बेली सदा , राखत रुदीया माय......39
मोगल चालीसा तणो , निशदिन करशे पाठ ..
कोड बधा पुरा करे , ठीक वधारे ठाठ.........40
मोगल पासे मागणी , आखरनी छे आई ..
जनमो पाछा जोगणी , ( तो ) चारण तणी सवाई ....41
मोगल सौनी मावडी , राखे सेवक लाज ..
"प्रभुदान" प्रणवे तुंने , अंतर एेक अवाज ....42

टाईपमां भुल होयतो क्षमा करजो

रचियता :- कविश्री प्रभुदानजी सुरु
टाईप :-  मनुदान गढवी
         जय मोगल मां
       वंदे सोनल मातरम्  

બુધવાર, 12 ઑક્ટોબર, 2016

भावनगर राजकवि श्री पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला नी 160 जन्म जयंती

आजे (ता.12-10-16) भावनगर राजकवि श्री पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला नी 160 जन्म जयंती छे

राजकवि श्री पिंगळशीभाई पाताभाई नरेलानुं टुंक मां जीवन चरित्र
नाम  :- पिंगळशी
पितानुं नाम :- पाताभाई नरेला
मातानुं नाम :- आईबा
जन्म  :- आसो सुद-11  सवंत 1912
जन्म स्थळ :- शिहोर
अवशान :- फागण सूद- 14 - ता.04-03-1939
वधारे माहिती (PDF) :- Click Here

प्रभाती : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*प्रभाती*

गोकूळ जेवू गाम अमाणू पवितर पूण्य वाळू रे...टेक

उजळा मोढे ओरडा ने ज्यां
आंगणा रुडा रुपाळा रे,
चोक्खी शेरियू स्वच्छ दिसे
नमणां चोक निराळा रे;
गोकूळ जेवू गाम अमाणू...1

मंगळ प्रभाते मां ना मढमां
गरवी चरजू गंहेकती रे,
ठाकर मंदीरमां ठहक वाळी
आरतियू उतरती रे;
गोकूळ जेवू गाम अमाणू...2

धमळा धोरी गायू गोरी मेखडियू  मलकती रे,
दूध दहीं घी माखणथी समृध्धी  छलकती रे;
गोकूळ जेवू गाम अमाणू...3

नदी ऐ नीर अखूट वहेने विरडे आछा वारी रे,
हेल त्रांबाळू लई ने हेते पाणी भरे पनीहारी रे;
गोकूळ जेवू गाम अमाणू...4

गाम नां गोंदरे गोवाळ माथे वांभे धेनू वळूंभती रे,
*दिलजीत* नेह नू रक्षण करवा जगदंबा जळूंबती रे;
गोकूळ जेवू गाम अमाणू....5

आज आवा गामडां भूतकाळ थता जाय छे शहेरी करण अने बे रोजगारी ना हिसाबे अनेक गामडां भंगाता जाय छे
गाय कामधेनू छे छता आज कोई ने गमती नथी गामनू पाधर गायू ना धणथी गौरज
थी पवित्र करतू भाग्ये जोवा मळे छे छता छे ऐने सो सो सलामू,

दिलजीत बाटी ढसा जं. ना
जै माताजी..मो.9925263039

भावनगर राजकवि श्री पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला

.                जय माताजी

*आजे भावनगर राजकवि श्री पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला नी 160 मी जन्म जयंती छे.*

तो ते निमित्ते "भावनगर राजवि श्री पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला"   विशे थोडी जाणकारी अने तेमनो जीवन परीचय  आप समक्ष मुकवानो नानकडो प्रयाश करेल छे

*राजकवि = भावनगर*
*जीवन काळ ( 1856  - 1939 )*

.  *राजकवि श्री पींगळशीभाईनो जन्म सवंत 1912 ना आसो सुद अगीयारस ई.स.1856 मां 10 ओक्टोबर ना रोज  शिहोरमां थयो हतो*

ते ओए  *डिंगळ गुजराती , हिन्दी, चारणी ,  संस्कृत, व्रजभाषा,मारवाडी वगेरे भाषाओना जाणकार हता।*

.  *नरेला कुटुंब भावनगर राज्यना सात  पेढी ना राजकवि पदे रहेला ।*
*दादा श्री मुळुभाई नरेला महाराजा भावसिंहजी अने अेखराजजीना वखतमां राजकवि हता ,*
*पिंगलशि भाय ना पिता पाताभाई नरेला पोते पण समर्थ कवि अने वार्ताकार हता ,*
*तेओ महाराजा जशवंतसिहजी अने अखेराजजीना समयमां राजकवि पदे रहेला*

.  *राज्यना दिवान " गगा ओझा " अने शामळदास महेता तेमना परम मित्रोमांना एक हता ,*
*आ मित्रो एेक बीजानी हाजरी वगर चा पण न पीता ,*

.  *भावनगर राज्यना दिवान शामळदास गुजरी गया पछी पिंगलशिबभाये चा पण छोडी दीधेली ,*

*पिंगलशिभाईए  *श्री दलपतराम अने फार्बस साहेब साथे एक मास सूधी छावणीमां वास करीने भावनगरनो ईतिहास कहेलो,*

.  *महाराजा तख्तसिंहजीअे पाताभाई बाद पींगळशीभाईने राजकविनी पदवी आपेली तेओ भावसिंहजी अने* *कृष्णकुमारसिंहजीना समय सूधी आ पदे रह्या,*

.  *तेमणे रचेला पुस्तकोमां :- (1) हरिस ग्रंथ-संपादन (2) श्री कृष्ण बाळलीला (3) चित्तचेतावनी (4) तख्तप्रकाश (5) भावभुषण (6) पिंगळ काव्य भाग -  1अने 2 (7) सुबोधमाळा (8) ईश्वर आख्यान (9) पींगळ विरपुजा (10) सुजात चरित्र अने सतीमणी नोवेल (11) श्री सत्यनारायण कथा संस्कृत-गुजरातीमां तरजुमो ....जेवा ग्रंथो तेमणे रचेला ,*

.  *तेओ श्री कृष्णकुमारसिंहजी - चारणविध्यालयना स्थापक पण छे . ते उपरांत पिंगलशिभाय "चारण हित वर्धक सभा" ना पायाना पत्थरों पैकी ना एक हता,*

राजकवी *श्री पिंगलशिभाय नरेला ने मळेला बिरुदो*

*"मध्ययुग ना छेल्ला संस्कारमूर्ति चारण",*
*"देवतुल्य कविराज",*
*"चारण शिरोमणी",*
*"अखंड आराधक",*
*"साधुचरित कवी",*
*"शुभ संस्कारो नो मनवदेहे विचरतो स्तम्भ",*
*"ड़िंगळ नो उकेलनार",*
*"सर्जनशक्ति नो पुंज",*
*"भावनगर नी काव्य कलगी"*
*"महाराजा ना मुगट नो हीरो"*

तथा

*नरसिंह मेहता, दयाराम, धीरा, मीरां आने अखा ने समकक्ष कवी,*

*जेवा अनेक मानवाचक बिरुदो, शब्दों अने लेखो थी महाराजाओ, कविओ, लेखको, अने विवेचकोए बिरदव्या छे।*

महाराजा *श्री अे तेमणे आपेला ( शेढावदर ) गाममां  आजे पण राजकवि श्री पिंगळशीभाई पूजाय छे,*

.  *राजकवि पद उपरांत*
*पींगळशीभाई*
*जोगीदानभाई नरेला*
*अनीरुधभाई नरेला*
*तेमज चंद्रजीतभाय नरेला*
*आ सर्वे भावनगर राज्यना अंगत सलाहकार पदे पण रहेला ,*

. *नरेला कुटुंबनि पांच पेढी  राजकवि पदे रहेला.*
तेमा
*मुळभाई नरेला*
*पाताभाई नरेला*
*पींगळशीभाई नरेला*
*हरदानभाई नरेला*
*बळदेवभाई नरेला..*

*राजकवि पदे रहेला*
 

*आ माहिती संकलन माँ " श्री धर्मदिपभाई नरेला" मददरूप बन्या एे बदल एेमनो खूब खूब आभार*

*टाईप :-  *```charantv.blogspot.com```*
            *"मनुदान गढवी"  - महुवा*
              *_9687573577_*

            *वंदे सोनल मातरम्*

મંગળવાર, 11 ઑક્ટોબર, 2016

कदर विना सेवानुं शुं काम रचियता :- पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला

आजे भावनगर राजकवि श्री पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला नी ऐक रचना माणीये

      कदर विना सेवानुं शुं काम

         राग :- धान्याश्री

कदर विना सेवानुं शुं काम, काग हंस ऐक ठाम...कदर...टेक

ऐक नीतिनुं खाय होय तो, अणहक चीज हराम,

ऐवा पुरुषने काई न आपे, दीऐ खुटलने दाम...कदर...1

कोणे बगाडयुं कोणे सुधार्यु, जाणे न आठे जाम,

जीव न होय ठेकाणे जेनो, तेने सरखुं तमाम...कदर...2

गरज होय त्यां सुधी ग्राहक, पाछळ नहीं प्रणाम,

काज सर्योथी कोई समे पण, नव संभारे नाम ... कदर...3

ऐनी चडवुं नहीं हडफेटे, छेटेथी करवी सलाम,

"पींगल" सेवो सत्य प्रभुने, ऐमां छे आराम...कदर...4

*रचियता :- पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला*

*टाईप :- www.charanisahity.in*

*➡ ता.12-10-2016ना रोज भावनगर खाते पींगळशीभाई नरेलानी 160 जन्म जयंतीनी भव्य उजवणी करवामां आवशे  तेमा  दरेक भाईयो तथा बहेनो ने पधारवा नरेला परिवार द्रारा भावभर्यु आमंत्रण पाठववामां आवे छे*

तारीख 12-10-16

समय :- सांजे 7-30 कलाके

स्थळ :-
पींगळशी पाताभाई मार्ग, वडवा -पानवाडी रोड , S.B.I पासे भावनगर

સોમવાર, 10 ઑક્ટોબર, 2016

छंद त्रिभंगी :- रचियता :- पिंगळशी भाइ नरेला

दुहो

हर पर विपति हाथसे डर पर दारा दाम

धर ईश्वर नित ध्यानमें कर नेकी के काम
             छंद त्रिभंगी

कर नेकी करसे डरपर धरसे पाक नजरसे धर प्रीती

जप नाम जीगरसे बाल उमरसे जसले जरसे मन जीती
गंभीर सागरसे रहे सबरसे मिले उधरसे परवाना
चित चेत सिंहाना फीर नहीं आना जगमे आखर मर जाना

मद ना कर मनमे मिथ्या धनमे जोर बदनमे जोबनमे

सुख हे न स्वपनमे जीवन जनमे चपला धनमे छनछनमे
तज वेर वतनमे द्वेश धरनमे नाहक इनमे तरसाना
चित चेत सिंहाना फीर नहीं आना जगमे आखर मर जाना

जुठा हे भाइ बाप बडाइ जुठी माइ माजाइ

जुठा पित्राइ जुठ जमाइ जुठ लगाइ ललचाइ
सब जुठ सगाइ अंत जुदाइ देह जलाइ समसाना
चित चेत सिंहाना फीर नहीं आना जगमे आखर मर जाना

कोउ अधिकारी भुजबलभारी कोउ अनारी अहंकारी

कोउ तपधारी फल आहारी कोउ विहारी वृर्तधारी
त्रस्ना नहीं टारी रह्या भीखारी अंत खुवारी उठ जाना
चित चेत सिंहाना फीर नहीं आना जगमे आखर मर जाना

तज पाप पलीती असत अनीति भ्रांती भीति अस्थिती

सज न्याय सुनीति उत्तम रीती प्रभु प्रतिति धर प्रीती
इन्द्री ले जीतीसुख साबिती गुण माहिती दर्ढ ज्ञाना
चित चेत सिंहाना फीर नहीं आना जगमें आखर मर जाना

दुनिया दो रंगी तरक तुरंगी स्वारथ संगी ऐकंगी

होजा सतसंगी दूर कुसंगी ग्रहेन टंगी जन जंगी
पिंगल सुप्रसंगी रचे उमंगी छंद त्रिभंगी सरसाना
चित चेत सिंहाना फीर नहीं आना जगमें आखर मर जाना
रचियता :- पिंगळशी भाइ नरेला

टाइप  हरि गढवी गाम   ववार मुंन्द्रा   कच्छ

          मो   96380 41145


રવિવાર, 9 ઑક્ટોબર, 2016

भावनगर राजकविश्री पिंगळशीभाई नरेला विशे श्री वी.ऐस. गढवी साहेब नो लेख

भावनगर राजकविश्री पिंगळशीभाई नरेला नी रचनाओ माटे ::- Click Here

भावनगर राजकविश्री पिंगळशीभाई नरेला विशे श्री वी.ऐस. गढवी साहेब नो लेख


देवल मां दिन दयाळी,नमुं तूने नेहडा वाळी

देवल मां दिन दयाळी,नमुं तूने नेहडा वाळी

देवल मां दिन दयाळी,नमुं तुने नेहडा वाळी

आई सोनल ना आदेश केरी,
विकसावी ते वेल,
       ऐमां फोरमुं वाळा फूल खील्या,
मां ते हेत नी रेळी हेल.
       देवल मां दीन दयाळी.....

सोयला पंथे चालजो चारण,
हैडे ऐक ज हाम,
       रसना मां जेने शारदा रमती,
रुदीये सीताराम,
      देवल मां दीन दयाळी......

सेल सुता ना छोरुडा चारण,शीव दादो साक्षात,
       शेष नानो ने सूरज मोसाळे,
ऐना रुदीये न होय रात,
      देवल मां दीन दयाळी.....

आइ सोनल ने कंकु केसर मां,
हरियाळा इज हेत,
       "राज" देवल मां राह बतावे,
चेत चारण तुं चेत....
    
देवल मां देव दयाळी,नमुं तूने नेहडा वाळी,

रचना- राजभा गढवी- जूनागढ

|| देव डाढाळी || रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)

.                 *|| देव डाढाळी ||*
.      *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
.       *ढाळ: चारणी परज, रावळी शैली*

नमीयें नव लाख नेजाळी..,भेर्युं कर देव भालाळी..दरशन दे देव डाढाळी...टेक

चौद लोके एक चुडलो चमके,भांण नो थातो भास
हाथ कांकण एक होय हेमाळे, रंग खेलण तुं रास
हाली आव मात हेताळी..गरजावो डुगरा गाळी रे, खमकारा कर्य खेधाळी....०१

हाथ ना कीधा होय माडीतो.जोगणीं एने जाळ
खोळले ले ने तुं मात खंखेरी, विपदा पाछी वाळ
भाले जेम चकली भाळी, समदर दे माग सेढाळी रे,जडबां दैत चीर जोराळी...०२

मलक आखा नी ममता मेळी,भ्रमणां पाडे भांत
जोग दीपावण जोगणी जागो,अमे तमाणी आंत
ओवो अडेडाटओखाळी, वेगूं कर विह भूजाळी रे, भेळी रेने मात भेटाळी...०३

आई तारो छे अहागळो अमने,मोगल वात्युं मान
वार्य करो विस वंभरी वाट्युं ,जोवुं हुं जोगी दान,
चडीया नी मात चूडाळी ,त्रिभुवण गुंजवो ताळी रे , खडेड्यो आभ ले खाळी...०४

(नवरात्री ना नवमा उपवास नी परोढ नी प्रार्थना )

🙏🏻🙇🏻👣🙏🏻🙇🏻👣🙏🏻🙇🏻👣🙏🏻

Featured Post

પરિવારની પાંખો થકી, ચારણની દીકરીએ ઊંચી ઉડાન ભરી; GPSC ની પરીક્ષા પાસ કરી ખંભાળીયાના દેવલબેન ગઢવી બન્યા TDO

પરિવારની પાંખો થકી, ચારણની દીકરીએ ઊંચી ઉડાન ભરી; GPSC ની પરીક્ષા પાસ કરી ખંભાળીયાના દેવલબેન ગઢવી બન્યા TDO ગુજરાત જાહેર સેવા આયો...