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સોમવાર, 16 જાન્યુઆરી, 2017

राहडो सुरज रांण रमे : रचना :- जोगीदान गढवी

.           *|| राहडो सुरज रांण रमे ||*
.      *रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)*
.     *राग: मोर बनी थनगाट करे नो लय*

" रुडोय मजानो राहडो, रचीयो सुरज रांण
  जग जोतो र्यो जोगडा, भव भव तुंने भांण."

राहडो सुरज रांण रमे..जीय राहडो सुरज रांण रमे..(०२)
ऐनी आगळ पाछळ आरतीयुं..ऐने गीत नगारा ने घाव गमे..
जीय राहडो सुरज रांण रमे........…..(०२) .....................टेक.

किलकाट जुवो रजनी करती..धरती सरती फरती फरती
चोडी भाल मां पुनम चांदलीयो, ऐनी आंखडीये अमियुं झरती.(०२)
ओढ्युं ओढण टांकल तारलीये, तिंणा साद थी तम्मर तम्म तमे.
जोगीदांन तणां गुंण गांन सुंणी.. नीत राहडो सुरज रांण रमे. ||01||

जळेळाट नभे जळकाट करे, प्रित सांज परोढ नी थाट पडे..
ऐनी ठेक वचे घन घोर मचे, बणीं नीर घरा प्रसवेद पडे..(०२)
दीये ताल हेताळीय ताळीय थी, ऐने न्याळीय नारीय नेह नमे.
जोगीदांन तणां गुंण गांन सुंणी.. नीत राहडो सुरज रांण रमे. ||02||

दखणांयन ने उतरांयण मां, दीस देह हींडोळीय ताल दीये..
निरखे नवढा नीज नेंणलीये, प्रितमाळ अयो ज्यम पालखीये..(०२)
लई लाल हींगोळीय देह लजा.,सरमाई  उभो होय सांज समे..
जोगीदांन तणां गुंण गांन सुंणी.. नीत राहडो सुरज रांण रमे. ||03||

सनमांन सगत्तीय उर सदा, लीये रास ने सुरज जाय लच्यो
नीशी सांज परोढ ने रांदल सुं, मन मानीयुं हारेय नेह मच्यो..(०२)
रच्यो रास महा नभ मंडळ मां..नव ग्रह निहाळीन पाय नमे
जोगीदांन तणां गुंण गांन सुंणी.. नीत राहडो सुरज रांण रमे. ||04||

.    || प्रजा पालक भगवान भास्कर ने हजारो वंदन ||..

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