कासब नंदण कापजो, आवे पिड जो अंग
जळ दोहो दई जोगडो, रांण नमां लख रंग
हे कास्यप पुत्र भगवान सुरज नारायण अमारी कोई अंग पीडायुं आवती होय तो तेने दुर करज्यो , आप तो लाखो रंग धरनार छो, (अहीं बपोरे त्रण वागे पिळा रंग धारी देखाता सुरज नारायण आपडा थी चार कलाक ना फेर वाळा देस मां उदय थता लाल रंग मां दर्शन आपता होय छे, आम एकज नारायण अलग स्थळे अने अलग लोको ने अनेक रंगो मां देखाय छे, मांणसे मांणसे पण अलग भाव रंग ना दर्शन आपता होई लख रंगा कह्या छे)हुं आपने दोहा रुपी जळ चडावी नित्य वंदन करुं छुं
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