वदीयें एक ज वार, धर डगे न ध्रूजियें।
(मारी) वाणी नो वेवार, साचो राखजे सोनबाइ।
( है आइ सोनबाइ! मैं आप से प्रार्थना करता हुं की मैं जो भी बात एक बार बोल दुं, फिर धरती पलट जाने पर उससे मेरा मन चलित न हो। है मां, मेरे इस वाणी रूप व्यवहार को आप हमेशा सत्य रखना)
-कवि: *जय*।
- जयेशदान गढवी।
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