ચારણત્વ

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બુધવાર, 7 સપ્ટેમ્બર, 2016

नारायण वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गढवी, ढसा

*नारायण वंदना*

         *दूहो*

अरज सूणी अमतणी
करी कृपा किरतार,
नारायण रुपे आवियो
ईशर ल्ई अवतार,

     *छंद*

परमेश्व नामे जे पूजाणो
ईशर आ कूळमां थियो,
हरीरस लख्यो हाथ थी
सूणाववो बाकी रियो,
ईण कारण आ समे अवतार
लई ने आवियो,
धन्य धन्य चारण कूळ ने ज्या नंद नारायण भयो...(1)

महिदान नामे तात जेना मात जीवूबा नाम छे,
चंडी नी सनमूख सदा रेवू
रसना मां जेने राम छे,
मोसाळ बाटी कूळ लांगेव
पख बेउ उजाळियो,
धन्य धन्य चारण कूळ ने
ज्यां नंद नारायण भयो...(2)

हांकल सूणी हरी नामनी संसार छोडी चालियो,
हरीहरानंद ना चरण ग्रहिया
अभय पदने पामियो,
सूरतां लागी शिव साथे भ्रम
जगतरो भांगीयो,
धन्य धन्य चारण कूळ ने ज्यां नंद नारायण भयो...(3)

काम क्रोध मद मोह वाळा त्रागडा तूटी गया,
मारा ने तारा ममत वाळा स्वार्थो छूटी गया,
असार आ संसार जाणी
धर्म धूणो धखावियो,
धन्य धन्य चारण कूळ ने ज्यां नंद नारायण भयो...(4)

भगवा धर्या जेणे अंग वाघा
भष्म त्रिपूंड ताणियो,
अजर अमर एक नाम एवा जगत पति ने जाणियो,
*दिलजीत* शब्दो धरी चरणे नारायण निवाजियो,
धन्य धन्य चारण कूळ ने ज्या नंद नारायण भयो...(5)

*पू.नारायण स्वामी ने वंदना*

*दिलजीत बाटी* ना जै नमो नारायण *ढसा जं.*
मो.99252 63039

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