ચારણત્વ

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શુક્રવાર, 16 સપ્ટેમ્બર, 2016

धन्य धरां सौराष्ट्र : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

॥ *धन्य धरां सौराष्ट्र*॥

         *दूहो*
धींगी धरा सौराष्ट्रनी धींगा धर्म ना धाम,
धींगा माडूं धीरज घणी नरवा कर्मी नाम;

         *छंद*
द्वादर्श ज्योती लींग मां जेनी
प्रथम पूजा थाय छे,
धरणी अमारी पवितर पूराणे  पंकाय छे,
द्वारकानो धणी अमाणो सबळ
चोकी दार छे
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...1

सिध्ध चोरासी अने ज्या बूढी ना छे बेहणां,
नवनाथ ना रुडा नेखमो ने तेजपूंजो ते तणां,
जूग जूनो तोय नवो गरवो आ गीरनार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...2

सरभंग वाळा समय थी ज्यां
परब बांधी प्रेमनी,
हेते धरे जो हाथ माथे करे काया हेमनी,
करे सेवा पतियानी देवीदास नो दरबार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी
वंदन हजारु वार छे...3

संसार वाटे चालवा नू  प्रथम पगलू ज्यां भर्यू,
सेवा निहाळी संतनी सत्त धाम मां चितडूं ठर्यू,
पछी'परबे रोकाणा मात अमर
आई नो अवतार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी
वंदन हजारु वार छे...4

साधू जमाडी जमवानू व्रत लीधू वाणिये,
अतिथी काजे कूवर कापी खांड्यू माथू खाणिये,
परिब्रह्म पोते हट्यो पाछो जे धीरजनो धरनार छे,
धनूय धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...5

जलियाण तारा झूपडे योगी बनीने आवियो,
विरबाई मागी दानमा एणे तपस्वी ने तागियो,
भूदर भाग्यो भगतथी जे धीरज नो धरनार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...6

डालां मथां ज्या डणंकता ई
गीरमां गीगो वसे,
दर्शन करता दूःख सघळा खलक कोरे थी खसे,
आधी उपाधी व्याधी सघळी
तुरत त्यां टळनार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे..7

भोळानी करवा भेर जेदी हमीर हेल्यो हरखथी,
दिधून डगलू तहूं पाछू तलवार वाळा तरकथी,
सोमनाथ सारु रियो रण मां
दोखी नो दळनार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे..8

दूकाळ पडियो देशमा वरतवा विर आविया,
जवन नजरे पडी जाहल सूमरे सताविया,
तेदि'हमीरने तू हाल्यो हणवा सोरठनो सरदार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी
वंदन हजारु वार छे,..9

विजाने शेणल आई नी वातो
हजी वंचाय छे,
हाथ मागी हजू नाव्यो अंतर
मा अकळाय छे,
हाड हैमाळे गळी आवी मां तणी मनवार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...10

गाम नमळे गीरमा ज्यां नाना-नाना नेहडा,
परोणा काजे प्राण आपे एवा
अमीर हैया एवडा,
धन धान वाळा पडे ढीला एवा अंतरना उदार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे..11

टिलात तळाजा तणो सत्त साई नेहे आवियो,
माग्य मूखथी कापडूं जगदंब
जिवीत राखियो,
बापे बेटानू शिष काप्यू एवो विरनो वहेवार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे..12

बाकर माटे बाई तूं सरधार मां
भुई सिंहणी,
कमकमी काया कवेण सूणी
बणी क्रोधे बमणी,
मारी पछाडी कर्या कटका जोगणी जमनार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...13

एभल जायो आटक्यो कमळ विण भारथ कियो,
जश लियण जैताणा धणी तूं शाहनी सामे थियो,
केकाण कविया ने दिधो एवो देहविण दातार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्रट्र नी वंदन हजारु वार छे..14

आहीर केरा आशरे ज्या रा' आवीने रियो,
माथू कापी आंखू कचरीस थीर मन नो थडकियो,
टेक खातर तनूज दिधो ई
यूगल नो उपकार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे..15

बारवटने पाळनारो जवा मर्द जोगो थयो,
वखतसिंहना वखत वखते सिंहना छूपो रियो,
डणक्यो सिहोरा डूंगरे तूं शूर नो शणगार छे,
धन्य धन्य धरा सोराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे,..16

वाळा तणी वावडीमां रण जीतण रामो थीयो,
डोहा पटेले कर्यो डारो त्यां सादूळो सामो थीयो,
मारी पछाडी उभो माथे बंदूक ना ज्यां बार छे,
धन्य धन्य धरा सौरेष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे,...17

सवळा पडे जो चीरिया तो प्राण राखे प्रेमथी,
अने अवळा पडेतो एज घडिये
जीव त्यागू देहथी,
निमी तिथी ए निम लिधू हादल नो हूंकार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...18

क्षत्रीय आगळ चारणे सावज माग्यो जिवतो,
वेण देतो वदू तूने पछी ज पाणी पीवतो,
केहर अर्पयो कान झाली पवित्र परमार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे,..19

कनरे जाता कैक यादी आंख सामे आवती,
महिया मर्दनी खांभियो बधी धीरजने धृजावती,
मान साटूं मोत वालू कोण बिजू करनार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे,..20

मिटूं मळीज्यां मांगडाथी मन वचनथी वरी,
पद्मावती नी प्रीत केवी भूतथी फेरा फरी,
वडले रोकाणी विरल नारी प्रेम पारावार छे,ह
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...21

आघी खहिशमां एक डगलू एम कईने ई गयो,
गळाथ दई गढवी मने जंजीर मां जकडी गयो,
सोगंद तोडे स्वामीना ई धण्य ने धिक्कार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारू वार छे...22

खांभीपरे आ खेमरानी लोहीं लोडण जारती,
वळजे तूं पाछी वेगथी ई शब्द ने संभारती,
करज्यो न कदिये कोई प्रिती
प्रेमीनो पोकार,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...23

टहूके मधूरा मोरला ने ओढो कां अकळाय छे
हारेल हैये तोय होथल धीरज देवा धाय छे,
वर्षामां वाला सांभरे ई विश्व नो वहेवार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...24

आणलदेथी आंख मळता दिल दिधू देवरे,
ढोलरानी  धीरज  आखा परगणा मां परवरे,
एकसाटे बे आपे तोय ढाल नहीं वळनार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे..25

मरशियानी मोज सारु कपट केवू आदर्यू,
साद सूणी चारणीनो थीर हैयू थडकियू,
न्याज रेजे नागाजण हवे तूं मारे मन मरनार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...26

खांभी निहाळी खंतथी में नेक भड नजराज नी,
यादी थई मूने एज वखते शूर ना सरताज नी,
भल भूप भिमोराधणी ने खमां  खमकार छे
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे..27

माणेक जोधो अने मूळू अंग्रेज सामा आटक्या,
ओखा माटे अहराळ थईने
तेग लईने त्राटक्या,
कीधू धींगाणू कृष्ण सारु जे श्यामना सरदार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...28

ओखा धरामा आई अमणी
बेठी मां बळवान छे,
सरकार साची चारणो नी भै मिटावण भाण छे,
मूगलाने मांडी मारवा जाणे आगनो अवतार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारू वार छे...29

चंडी चामंडा नू बेहणू ई परगणू पंचाळ छे,
त्रिपूरारी तरणेतरमा भव रोग
नो हरनार छे,
सूरज देवळ शोभतू जाणे श्रृष्टी नो शणगार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...30

चेतक सरीखा घोडला पंचाळ
मा पाक्या हता,
राजा न राणा गूण गाता जीभ थी थाक्या हता,
हजी हावळ्यू संभळाय जाणे
राणो माथे अहवार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...31

दातारी एना दिलनी हजू विवेकथी वखणाय छे,
महिपती मोटा पडे भोंठा अमिरो अकळाय छे,
बडभागी बाबी कमाल तारी जीगर ने जूहार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...32

एक साथे बधा पाधर राष्ट्रने अर्पण कर्या,
अधीकार जातो करी जग मां
अमर किरत ने वर्या,
प्रजा माटे परोपकारी कृष्ण कृष्ण कूमार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे...33

नर नरा कूळमा आवियो कहू केवो ई कविराज छे,
कृष्णभकती मां लिन कायम
सत्तनो शिरताज छे,
कवि पिंगळशीनी कविता महा
मंत्रोच्चार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे..34

शिर मौर चारण वरण नी तूं खरेखर ओळखाण छे,
दाढी वाळा काग दूलां खमीरी नी खाण छे,
काव्य केणी कंठनो भायल सतण भरथारछे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे..35

संत दाता सती भकतो शूर विर निपजावती,
कैक कवियोनी कलमथी नित गीत रुडा गवरावती,
*दिलजीत* जन्म भोम उपर
ओळ घोळ अवतार छे,
धन्य धन्य धरा सौराष्ट्र नी वंदन हजारु वार छे.36

निजानंद माटे लखायेल आ
कविता खरेखर कोईना वखाण करवा खातर नथी लखी संत शूरविर दातार
पवित्र देवभूमी तेमज संस्कार सभर ईतिहास नी अमर वातो आप सूधी पंहोचाडवानो विनम्र प्रयास छे जे आपने गमशे ई मने पण गमशे कदाच क्षति होय तो मोटू रदय राखी भूलसाथे स्वीकारवा कृपा सारु तमारु बाकी बधू मारु
*जै सौराष्ट्र*
*दिलजीत* *बाटी* ना
रदयथी जै माताजी *ढसाजं.**मो.9925263039*

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