23 मार्च ..शहीदे आझम ने अंजळी.*
*हिंद जाया नुं हालरडु*..
पिता किसन सिंह अने मां विध्यावती ने ज्यारे पोताना खोळाना खुंदनार ने फांसी नी पेहला छेल्ली वखत मळवा जवानुं हशे..ई लाहोर जेल ने दरवाजे मां पोताना दीकरा ने छेल्ली वार मळवाना अबरखे उभी हसे अने खबर मळे के फांसी तो काल रात्रेज अपाई गई..अने मृत देह सोंपाणो होय..ई आंखो बंद करी ने सुतेला त्रण सावजो ..मां भारती ना भुलकां...सुखदेव राजगुर अने भगतसिंह...ऐनी बंध आखो जोई मां ने काळजे केवा घा वाग्या हशे...आ हिंद ने बिजा तो शुं ठबका देवा ? ,,.,
. *|| हाला गाउं हिंद ना लाला ||*
. *रचना : जोगीदान गढवी (चडीया )*
. *राग: बेटी बहुं बाप ने व्हाली*
लोट्यो तुंतो हिंद ना लाला, हैडा फाट गाउं हुं हाला
काळजडाने बोल ई काला, भोकें मारी छातीये भाला...टेक
निकळ्यो तो तुं निहाळ जावा ने, जलीया वाला जेल
दील दीधुं तुं देस ने तारा, मन मां नोंहतोय मेल
आग्युं घट सळगे आला..हाला गाउं हिंद ना लाला..||01||
खेतरे जई ने खेलतो तो तुं, हळ वावी हथीयार
जोई रहे केम सिखणीं जायो, मातृ भुमी ने मार
मंड्यो लईन हाथ मिशाला, हाला गाउं हिंद ना लाला..||02||
आटक्यो तुं अंगरेज ने माथे, बाटक्यो तुं बळवान
साटक्यो तें सारडील ने सेरी, जाटक्यो लीधेल जान
दागी त्रण गोळीयुं डाला..लीधूं तेंतो वेर ई लाला...||03||
दोसतारुं संग दीधीयुं तेतो, घारा सभा मां धिंह..
बोम फेंकी ने तुं बंकडा बोल्यो, हुं सिखणीं जायो सिंह
अंगरेजांय भर्य उचाला, हरखी तारा गाउं हुं हाला..||04||
थथरी गोरा ना काळजां कंप्या, पाडतां तुं पड़कार
जुलतो लाहोर मांचडे जोया, अमे हिंद माता नो हार
विरा त्रण लागीया वाला, हाला गाउ हिंद ना लाला..||05||
हिंद हैये तुं हीबकी हाल्यो, सहीद आजम नो सूर
जननीने जोगीदान जळेळ्या, पांपणे आंहुना पूर
ठबका शुं आ देस ने ठाला, हाला गाउं हिंद ना लाला..||06||,, .....
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हे भगतसिंह अमे तने याद करियें त्यां अमारी आंख्युं भिनी थई जाय छे..अमे केदी तारुं ऋण चुकवी सकस्युं?? हे महाक्षात्र ..तुं स्वतंत्रता विरो मां सुर्य छे...तुंने कोटी कोटी वंदन छे..
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