चारण हूँ मैं
*ले.पद्मश्री ठाकुर सूर्यदेवसिंह जी पालावत*
इतिहासों ने पढ़ा,
रसों ने जिसको गाया
तलवारों की छौहों ने,
जिसको दुलराया,
वही कलम का धनी,
ज्ञान का कारण हूँ मैं||
चारण हूँ मैं||
शिव से लेकर शक्ति,
शक्ति का विश्वासी हूँ|
महाशक्ति में विश्वासों की
मैं गंगा हूँ, मैं काशी हूँ|
पूजित हिंगलाज व चावंड
स्थापित करणी माता आवड़
विदित गिरवरा, बैचर बरवड़,
खोडियार कामख्या तेमड़
इन्दर, सायर, सोनल, देवल
सैणी राजू बट्ट अर बल्लर|
महम्माय का कृत कृतज्ञ हूँ|
चरण धूल हूँ पुण्यनमन हूँ,
बांकीदास, उम्मेद, मुरारि,
सावल, दुरसा, जाड़ा, लखा|
लंघी काना सायां झूला
पिंगल हरदा कागा दूल्हा|
सूर्यमल बारू वीरों सा,
रचना, साहस और शौर्य की
त्रिवेणी का झरना हूँ मैं|
प्राप्त अधिकृत अधिकारों के
विरोध का धरना हूँ मैं|
जोरावर प्रताप केसरी,
तिल तिल विगलित तदापि प्रञ्चलित
अमर क्रान्ति का कर्ता हूँ मैं|
मारवाड़ की बुद्धि शिरा विञ्जी लालस सी
उज्ज्वल व ब्रदी गाडण सी|
फैली ज्ञान प्रखरता हूँ मैं|
मैं श्रद्धा का तीर्थ, आस्था का हूँ मंदिर,
रहा राज्य चाणक्य, सभा श्रृंगार,
सनातन धारण हूँ मैं|
भाषा पंडित प्रवण स्नेह का श्रावण हूँ मैं||
चारण हूँ मैं||
चारण हुूँ मैं।
अति अतीत के स्मरित विस्मरित,
घटनाओं का एकल लेखक|
रण प्रांगण के घोर युद्ध का,
गर्जक तर्जक अंकक मापक|
समय समय से लिखी जा रही,
विविध विधा का रूपक चित्रक|
ईसरदास प्रभृति सन्तों की,
भक्तमाल का मोती मानक|
पखाडों की महिमाओं का,
जगदम्बा का गाथा गायक|
उतर भारत चर्चित चिन्हित,
करणी माँ का अर्चक वन्दक|
चारू चरित उतम अन्तर्मन,
आदर्शों का शाश्वत सरजक|
काल-भाल पर अमिट उभरता,
अक्षर, सुन्दर, सत्य सार्थक|
अवतारों की पीढ़ी हूँ मैं,
सदाचार की सीढी हूँ मैं,
भावी का मैं पूर्व निमन्त्रण,
वर्तमान आमन्त्रण हूँ मैं||
चारण हूँ मैं||
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