ચારણત્વ

" આપણા ચારણ ગઢવી સમાજની કોઈપણ માહિતી,સમાચાર અથવા શુભેચ્છાઓ આપ આ બ્લોગ પર પ્રકાશિત કરવા માગતા આ વોટ્સએપ ન.9687573577 પર મોકલવા વિંનતી છે. " "આઈશ્રી સોનલ મા જન્મ શતાબ્દી મહોત્સવ તારીખ ૧૧/૧૨/૧૩ જાન્યુઆરી-૨૦૨૪"

Sponsored Ads

મંગળવાર, 20 ડિસેમ્બર, 2016

मने बोलावे छे : रचना :- कवि श्री जय (जयेशदान गढवी )

*मने बोलावे छे, शिखर हिमालय ना, गिरनार नी याद आवे छे*

* मने बोलावे छे, शिखर हिमालय ना, गिरनार नी याद आवे छे।
गुफाओ अने कंदराओ गुंजवतो, को'क गेबी साद आवे छे।

* झोली, कमंडल, दंड, माला, गहेरी भीतर शांति। 
ऊंडाण मा शोधता अवशेष, मञी एकाद आवे छे।

* दोमदोम साह्यबी ने वधु अभरखां भोग ना।
जिजीविषाओ थी त्रस्त, त्रूप्ति नी फरियाद आवे छे।

* "साधो तो चलता भला", झंखे विचरण आत्मा।
जडेली बेडीओ लोकेषणा नी, मर्याद आवे छे।

* बंध आंखे पडे द्रष्टि ऐ केडिओ पगडंडियो पर।
आदेश आदेश नो अविरत, क्यांक निरव नाद आवे छे।

* घट भीतर गुंजी रह्यो छे, *जय* भगवो आत्मा।
कविता रूहे अबोट अहर्निश, आशीर्वाद आवे छे।
* * * * * * * * * * * * * * * * * * *
कवि: *जय*।
- जयेशदान गढवी।

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો