नवा वषेॅ नवा संकल्प....!
जीवनना मागॅमांथी कदी भटकी न जईऐ,
मंझिल मेळववा हंमेशा साची सफर करता रहीऐ.
जीवीऐ ऐवुं के कोईने थोडा काम आवीऐ,
अावो नवा वषेॅ थोडा शुभ संकल्प करता जईऐ.
अंग्रेजी केलेन्डर प्रमाणे नवुं वषॅ होय के हिन्दु केलेन्डर प्रमाणे नवुं वषॅ होय पण प्रत्येक वषेॅ संकल्पनुं महिमागान करवामां आवे छे.
संकल्पने आटलुं महत्व ऐटला माटे आपवामां आवे छे के ऐकलव्य जेवा पुराणकाळना पात्रो होय के प्रखर राजनेता टिळक होय बघा ऐकसुरे कहे छे के दढ संकल्प वगर सिद्घी प्राप्त थती नथी.
ऐकलव्ये गुरु द्रोण नहीं तो तेमनी मूतिॅ पासेथी घनुष्यविघा प्राप्त करवानो दढ संकल्प कयोॅ हतो.
हेलन केलर दोढ वरसना हता त्यारे तेमनी बंने आंखो चाली गई हती पण तेमणे विकट परिस्थिति सामे लडी लेवानो दढ संकल्प कयोॅ अने तेओ जीवनमां सफळताने वयाॅ.
जिंदगीने मठारवा माटे संकल्प लेवो ऐ सदगुण छे अने ऐनुं आगवुं महत्व छे.
अमारो चारण समाज पण नवा वषेॅ केटलाक महत्वना संकल्प लेशे.
* जुना रुढिगत कुरिवाजो
मांथी निकळवानो,
* समाजमांथी जुदा जुदा वाडा
दूर करी, हुं फकत चारण छुं
ऐवो माहोल उभो करवानो,
* दाणा जोवा, दोराघागा
करवा, के घुणवाना घतिंग
बंघ करवानो,
* दारु-मांस अने कन्याविक्रय
जेवा दूषणो दूर करवानो,
* पहेला धरोधर जोगमाया
जन्मती ऐवा उजळा
माणसाईना संस्कार प्राप्त
करवानो,
कवि चकमकने अंत:करणथी आशा छे के आ बघी बाबतोना दढ संकल्प चारणो नवा वषेॅ लेशे.
जय माताजी.
प्रस्तुति कवि चकमक.
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