ચારણત્વ

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મંગળવાર, 27 ડિસેમ્બર, 2016

आई सोनल आदेश :- रचियता :- कवि श्री मेघराजभा मुळुभा रतन (गढवी) गाम :- मढाद ,ता :- वढवाण , जील्लो :- सुरेन्द्रनगर

जय सोनबाइ मां
जय मां मोगल
आइ सोनल आदेश
सतवादी चारण बनो, काढो कुटुंब कलेश...
छोडो दारु चारणो, (इ) आइ सोनल आदेश...१
दाम माटे कोइ दीकरी, वेंचो नहीं लघुलेश...
दैत वृत्ती छोडीद्यो, (इ) आइ सोनल आदेश...२
चोरी जारी चुगली, काढो जुगार कलेश...
नीतिथी चारण नभो, (इ) आइ सोनल आदेश...३
कुरिवाजो काढवा, वरतो समय विशेष...
कारज भोजन भंग करो, (इ) आइ सोनल आदेश...४
मही पर छोडो मांगवु, वधो पुरुषार्थ वेश...
नेक टेक राखो नवड, (इ) आइ सोनल आदेश...५
जीवन एवुं जीवजो, अहिंशा बनो उदे्श...
वेद रामायण वांचजो, (इ) आइ सोनल आदेश...६
सरस्वती सेवो सदा, भक्ति करो भवेश...
उज्जवळ रीति आचरो, (इ) आइ सोनल आदेश...७
पढो सुविधा प्रेमथी, कायम समय संदेश...
देव जाती दिपावजो, (इ) सोनल आदेश...८
प्रतिभा तेज प्रतापथी, नमे महान नरेश...
एवा चारण अवतरो, (इ) आइ सोनल आदेश...९
धागा दोरा धुणवुं, काढो तुत कलेश...
चारण ! पाखंड छोडजो, (इ) आइ सोनल आदेश...१०
उज्जवळ करणी आचरो, व्रतधारी विशेष...
जगदंबा जीभे जपो, (इ) आइ सोनल आदेश...११
जीवन तपेश्वरी जीवजो, वर्ण चारण विशेष...
(तो) जगदंबा जनमशे, (इ) आइ सोनल आदेश...१२
तजो भोग आळश तजो, व्यसन चजो विशेष...
जीवन ऊंचुं जीवजो, (इ) आइ सोनल आदेश...१३
हरखो नहीं परहाणथी, परखो नहीं परद्वेश...
समद्रष्टि चारण बनो, (इ) आइ सोनल आदेश...१४
दोष अवर देखो नहीं, पेखो गुण प्रवेश...
शुभ द्रष्टि राखो सदा, (इ) आइ सोनल आदेश...१५
सुणो नहीं कदी श्रवण, परनिंदा परवेश...
काटो झटपट कपटने, (इ) आइ सोनल आदेश...१६
बोल एवा नव बोलजो, कडवा करे कलेश...
वाणी निर्मळ वापरो, (इ) आइ सोनल आदेश...१७
काबर, लाबर लूगडां, पहेरो नहीं पहेरवेश...
वरतो सदा वेशथी, (इ) आइ सोनल आदेश...१८
चारण चोथो वेद छे, दाखे उपमा देश...
माटे वेद पुराण जीभे वदो, (इ) आइ सोनल आदेश...१९
फोगट घरदार भटकतां, हटशे मान हंमेश...
माटे ध्यान राखो धंधातणुं, (इ) आदेश...२०
शरीर शुद्दी छे स्नानथी, भगती मन भवेश...
वित शुद्दी त्याग वधे, (इ) आइ सोनल आदेश...२१
बोल विचारी बोलवा, (जेथी) वधे तोल विशेष...
बोल कोल बदलो नहीं, (इ) आइ सोनल आदेश...२२
रहेणी कहेणी एक रंग, वाणी वर्तन वेश...
एक रंगा उज्जवळ बनो, (इ)
आइ सोनल आदेश...२३
धन पाछळ दोडो नहीं, लोभ भरी मन लेश...
हक नीतिथी हालजो, (इ) आइ सोनल आदेश...२४
सुख दुख छे संसार मां, विध विध रुपे वेश...
संतोषी सुखी बनो, (इ) आइ सोनल आइ...२५
देग तेग राखो दया, वाचकाछ विशेष....
जीवन तपधारी जीवो, (इ) सोनल आदेश...२६
भोग विलाशे भुवनमां, वधे रोग विशेष...
जीवनमां योग आचरो, (इ) आइ सोनल आदेश...२७
प्रणधारी पेंखता हरखे ह्रदय हंमेश...
(माटे) अटकी अडीखम रहो, (इ) आइ सोनल आदेश...२८
कंठ कहेणी ने काव्यना, हलके धोध हंमेश...
गाओ गीत गोविंदना, (इ) आइ सोनल आदेश...२९
काव्य कीर्ति मानव तणी, लखो नहीं लवलेश...
वदो न वाणी वैखरी, (इ) आइ सोनल आदेश...३०
अभ्यागत ने आसरो, हरखे दीपो हंमेश...
धरम आश्रय राखजो, (इ) आइ सोनल आदेश...३१
वखत प्रमाणे वरतजो, हिंमत राखी हंमेश...
करजो नहीं अवळा करज, (इ) आइ सोनल आदेश...३२
धंधो एवो धारजो, पाप न थाय प्रवेश...
नारायण नीति वशे, (इ) आइ सोनल आदेश...३३
दरिया रेले दुखडा, (भले) खडेडे आभ खगेश...
(पण) अणडग चारण नो डगे, (इ) आइ सोनल आदेश...३४
कुशळ परहित काजमां, पुण्ये पंथ प्रवेश...
दुनियाने नव दुखवो, (इ) आइ सोनल आदेश...३५
शक्ति धन बळ सांपडे, वधे सुख विशेष...
(तोय) चारण कोइदी नो छके, (इ) आइ सोनल आदेश...३६
मन मोटा तन उजळा, डारण पडछंद देह...
समदर पेटा चारणो, (इ) आइ सोनल आदेश...३७
चतुराइ चारण ने वरे, डापण वंदे देश...
मटाडे कजीया मलकना, (इ) आइ सोनल आदेश...३८
प्रगट वेद पुराणमां, वेदशास्त्र विशेष...
चारण देव समान छे, (इ) आइ सोनल आदेश...३९
पख मोशाळे शेष पत, मुंणा पिता महेश...
चारण देवीपुत्र छे, (इ) आइ सोनल आदेश...४०
व्याप्यो कळीयुग विश्वमां, समय कहंत संदेश...
चारण ! कसोटी चेतजो, (इ) सोनल आदेश...४१
धर्म टके तो धन टके, वधे वंश विशेष...
सुख रहे संसारमा, (इ) आइ सोनल आदेश...४२
जीवन दैवि जीवजो, अवर लिए उपदेश...
कळीयुगी जीवन काढजो, (इ) सोनल आदेश...४३
तमो गुण अग्न्यान थी, वधे गर्व विशेष...
(माटे) हुं पद थी पाछा हटो, (इ) आइ सोनल आदेश...४४
सुर दुर्लभ संसारमा वदीये मानव वेश...
पारसरुपी पेखजो, (इ) आइ सोनल आदेश...४५
अडसठ तिरथ अांगणे, वंद मावतर वेश...
पाळो आग्ना प्रेमथी, (इ) आइ सोनल आदेश...४६
दानव मानव देहने,हरपाळ मोत हंमेश...
मुक्ति जीवन मेळवो, (इ) आइ सोनल आदेश...४७
सर्जक शोषक सृष्टिनी, पालकरुप प्रमेश...
तुं शक्ति कारण करण, आइ सोनल आदेश...४८
वर्ष एकावन विश्वमां, समर्प्या अमर संदेश...
स्वधाम सोनल संचर्या, आइ सोनल आदेश...४९
शीखे वांचे अने सांभळे, आइ सोनल आदेश...
बेशक जीवन धन्य बने, आइ सोनल आदेश...५०
सोनल मुखे सांभळ्या, (जे) एकावन आदेश...
कवि 'मेघराजे' कथ्या, आइ सोनल आदेश...५१
रचियता :-
 कवि श्री मेघराजभा मुळुभा रतन (गढवी) गाम :- मढाद ,ता :- वढवाण , जील्लो :- सुरेन्द्रनगर
टाइपिंग --- राम बी गढवी
नविनाळ कच्छ
फोन नं. -- 7383523606
{भुलचुक सुधारी ने वांचवी}
जय हो आइ सोनबाइ

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