आवतिकाल थी शरु थता नवरात्री पर्व नी खूज ज शुभेच्छा.अने ते निमिते विश्वंभरी नी स्तुति
विश्वंभरी अखिल विश्व तनी जनेता
विद्या धरी वदनमा वसजो विधाता दुर्बुद्धिने दूर करी सदबुद्धि आपो माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
भूलो पड़ी भवरने भटकू भवानी
सूझे नहीं लगिर कोई दिशा जवानी भासे भयंकर वाली मन ना उतापो माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
आ रंकने उगरावा नथी कोई आरो
जन्मांड छू जननी हु ग्रही बाल तारो
ना शु सुनो भगवती शिशु ना विलापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
माँ कर्म जन्मा कथनी करता विचारू आ स्रुष्टिमा तुज विना नथी कोई मारू कोने कहू कथन योग तनो बलापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
हूँ काम क्रोध मद मोह थकी छकेलो आदम्बरे अति घनो मदथी बकेलो
दोषों थकी दूषित ना करी माफ़ पापो माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
ना शाश्त्रना श्रवण नु पयपान किधू ना मंत्र के स्तुति कथा नथी काई किधू
श्रद्धा धरी नथी करा तव नाम जापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
रे रे भवानी बहु भूल थई छे मारी आ ज़िन्दगी थई मने अतिशे अकारि
दोषों प्रजाली सगला तवा छाप छापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
खाली न कोई स्थल छे विण आप धारो
ब्रह्माण्डमा अणु अणु महि वास तारो
शक्तिन माप गणवा अगणीत मापों
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
पापे प्रपंच करवा बधी वाते पुरो
खोटो खरो भगवती पण हूँ तमारो जद्यान्धकार दूर सदबुध्ही आपो माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
शीखे सुने रसिक चंदज एक चित्ते तेना थकी विविधः ताप तळेक चिते वाधे विशेष वली अंबा तना प्रतापो माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
श्री सदगुरु शरणमा रहीने भजु छू रात्री दिने भगवती तुजने भजु छू
सदभक्त सेवक तना परिताप छापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
अंतर विशे अधिक उर्मी तता भवानी
गाऊँ स्तुति तव बले नमिने मृगानी संसारना सकळ रोग समूळ कापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
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