ચારણત્વ

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ગુરુવાર, 8 સપ્ટેમ્બર, 2016

महामाया स्तोत्र : रचना:- जोगीदानभाई गढवी

.©  *|| महामाया स्तोत्र ||*
. *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
.         *छंद : भूजंग प्रयात*

.         

तुंही हे जणेता प्रणेता प्ररब्धा, तुंही जीभ भाखे सरा बोळ शब्धा
तुंही तुं निभावे मया बाळ नाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||01||

तुंही विष्णु पुषा भगं विवस्वानं, तुंही मित्र पुर्जन वरुण़ अंशुमानं
तुंही अर्यमा ईन्द्र त्वस्ठाय धाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||02||

तुंही ब्रह्म रूपी भवां सिद्ध भाळी, तुंही सत्य कर्मा सगत्तीय साळी
तुंही द्वा दसां सुर्य नी तेज दाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||03||

तुंही मात तातम् भगीनीय भ्रातम्  तुंही सर्व संबंध हो जूग्ग सातम्
तुंही हेत वाळी नको तोड्य नाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||04||

तुंही काल रुपां परे रात काळी, तुंही प्रोढ देती धरा ने उजाळी.
तुंही तुं बडी बोलती ध्रम्म बाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||05||

तुंही हेमतां रैवत्तां वास वंध्या, तुंही हर प्रहर हर समर सुब्ह संध्या
तुंही कामखा मात कल्यांण काता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||06||

तुंही मां दयाळी सदा रेम राखे, तुंही संकटो बाळ ना केम साखे
तुंही जाळवे ताळवे जीव जाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||07||

तुंही दर्श देती नवेरात न्याळी, तुंही निसरे कांबळी ओढ्य काळी
तुंही सांभळे सारणां गीत गाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||08||

तुंही राख चडीयाह ने चर्ण राजी, तुंही क्रोघ त्याजी जीतावेय बाजी
तुंही तुं वडी वंश नी मां विधाता ,महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||09||

तुंही चार वेदम पुराणम प्रमांणी, तुंही सांख्य मे शास्त्र मे तुं समाणी
तुंही चित्र गुप्तां खतावंत खाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||10||

तुंही मोगलम् आवडम् मात काली,तुंही हिंगळा रूप मे आव्य हाली |
तुंही देवलम् दिव्य तेजोय दाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||11||

तुंही तांडवा नृत्य मे शीव तोळे, तुंही रूद्र ना रूप मे दक्ष रोळे,
तुंही मां सती सग्गती सर्व ग्याता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||12||

तूंही चक्र विष्णौ तणे हत्थ छुट्टे, तूंही टूक्क बावन्न मे मात तुट्टे
तुंही सर्व शक्ति पीठे प्रांण पाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||13||

तुंही हिर्ण कस्यंम्प वाराह वेडे, तूंही कच्छ रूपां उभी दैत केडे
तूंही रत्त्त बीजा भ्रखे रग्त्त राता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||14||

तुंही मा मधु कैटभां माग मंडी, तुंही ब्रह्म वारे चडी ब्रम्ह चंडी
तुंही हय ग्रीवां ग्यान मे हो हयाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||15||

तूंही दोउं वन्ना तुंही दोउ वारी, तुंही चार विप्रम् मरां ने मूरारी
तूंही जोगी दानां नवे लक्ख नाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||16||

तुंही अफ्फरां बोल आशिस आपे, तुंही कफ्फरा काळ ने मात कापे
तुंही नफ्फरां पें रखे नेंण राता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||17||

तुंही सर्सती लक्खमी चौद लोके, तुंही मात काली मया रक्ष मोके
तुंही नाम रां गंधवां गीत गाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||18||

तुंही सोवतां मा प्रथी जाय पल्ले, तुंही से चतु दस्स ब्रहमांड चल्ले
तुंही स्वास लेता लखो कल्पजाता,महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||19||

तुंही रुप साकार आकार सगती, तुंही तुं निराकार ने पार पगती
तुंही दुर दुर्रे समिपेय साता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||20||

तुंही द्रग्ग देखीं भुजा लक्ख भाळी,तुंही स्वेत पद्मा विधु विक्कराळी
तुंही तुं समरतां थीरां चित्त थाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||21||

तुंही नाम से सांकळा बंध छुट्टे, तुंही सेवतां ताप त्रेय विध्ध तुट्टे
तुंही पर्सता वो सदा मोक्ष पाता,महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||22||

तुंही सुर्य कोटी समा तेज तप्पे, तुंही तुं जीभे जोगडो नीत्य जप्पे
तुंही सर्व कल्यांण नी हे किराता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||23||

तुंही शब्द मे ना कबुं मात सामे, तुंही तुं पवितां चितां नित्त पामे
तुंही पुंर्ण किन्ना त्रिसन्नाय ताता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||24||

तुंही से न मागुं मया खिन्न माया, तुंही जोगणी जांणती दक्ख जाया
तुंही बाळ हीत्ते जगत्ते हयाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||25||

तुंही कन्न कन्ने तुंही अन्न धन्ने, तुंही तुं विचरती जगे जन्न जन्ने
तुंही मन्न मन्ने प्रसन्ने प्रदाता, महा आध्य शक्ती महंम्माय माता.||26||
.          कुळ दैवी कल्यांण कर, सनमुख रे कर स्हाय |
.          जा पद वंदत जोगडो, मात जयति महंम्माय ||27||.
.        नित जागी जो नरणमां, स्तुती यह करै सवार |
.        जरुर करत मां जोगडा,  परा शकत भव पार ||28||

(15 मी कडी मां बे वनचर (वराह ,नरसिंह)/बे जळचर(मच्छ ,कच्छ)/चार विप्र (वामन,परसुराम,/मरा= राम/मुरारी= कृष्ण..ऐम दसावतार ने वंदन छे तथा जोगीदान नी नात अने नाता मां नव लाख ऐटले ऐ तमाम चारण आई ने वंदन छे ),,,

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