ચારણત્વ

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શનિવાર, 24 સપ્ટેમ્બર, 2016

शुं पुछो छो मुजने हुं शुं करुं छुं : रचना दास सतार

*दास सतारनी एक रचना*

*शुं पुछो छो मुजने हुं शुं करुं छुं*

शुं पुछो छो मुजने हुं शुं करुं छुं .
मने ज्या गमे , त्यां हरुं छुं फरुं छुं .

न जाउं न जाउं कुमार्गे कदापि .
विचारी विचारी ने , डगला भरुं छुं .
मने ज्या गमे , त्यां हरुं छुं फरुं छुं .

करे कोई लाखो , बुराई छतां हुं .
बुराईना बदले , भलाई करुं छुं .
मने ज्या गमे , त्यां हरुं छुं फरुं छुं .

नथी बीक कोईनी , मने आ जगतमां .
फक्त मारा प्रभूथी एक ज डरुं छुं .
मने ज्या गमे , त्यां हरुं छुं फरुं छुं .

चडी छे खुमारी पीधी छे प्रेम सुरा .
जगतमां हुं प्रेमी थई थईने विचरुं छुं .
मने ज्या गमे , त्यां हरुं छुं फरुं छुं .

छे साधु संवत *भक्त* सत्तारनुं .
कवि ज्ञानीओने हुं शरणे धरुं छुं
मने ज्या गमे , त्यां हरुं छुं फरुं छुं .

आई श्री मोगल वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई श्री मोगल मां वंदना*
              *चरज*           
          ॥मणियारो॥
ढाळ..मारु संदेशो मोकले रे..

नित सवारे सांज बपोरे प्रेम थी लागू पाय,
भूल भूली तव बाळनी भेरे आवजे वेगे आई,...1

आसमाने मोजा आफळे मोटा
वावडो वेरी वाय,
हालक डोलक होडकूं ऐमा
थर आतम केम थाय,...2

हिंचके हाले वादळो भेळो वीज तणो गगडाट,
दरियो गांडो थईने गाजे
विपत्ते घेरी वाट,..3

वळी मंडाणो मेहूलो माथे काळी अंधारी छे रात,
नजर नाखे नथी मळतो केडो
ने अंतरमा उत्पात,...4

धीर खूटी हवे ध्रोडजे मोगल
उतावळी थईने आई,
*बाटी दिलजीत ने* बचावजे
माडी बाळ जाणीने बाई,..5

*मां मोगल वंदना*
दिलजीत बाटी ढसा जं. ना
जै माताजी
*मो.9925263039*

શુક્રવાર, 23 સપ્ટેમ્બર, 2016

जोगीदान गढवी (चडीया) कृत चारण निति सतक ना दोहरा

*प्रेम भावे थी पिरहियुं, उतरे कोठे अन्न*
तो
*मांणह केरुंय मन्न, जुमवा मांडे जोगडा*

( जो घरमां शांति मय वातावरण ईच्छता होव तो स्त्रीयोये घरना तमाम सभ्यो ने खुब प्रेम भावथी भोजन पीरही ने जमाडवुं, जेनाथी बधानुं  मन झुमी उठसे, आ निति बघे लागु पडे छे)

*चूको कदी ना चारणा, वांणी उपर विवेक*
*आप बळुकी एक, जीभ अमांणी जोगडा*

(चारणोये क्यारेय पोतानी वांणी पर थी संयम न चुकी ने विवेक पुर्ण वातज करवी, कारण के चारण नी जीभ बहु बळवान होय छे,अने अ विवेकी वांणी अणधार्या परिणामो ने नोतरनार होय छे)

*कदिय न ककळाववी, आंतरडी ने  ऐम*
*राखी सौ पर रेम, जीवन सुधारो जोगडा*

(क्यारेय कोईनी आंतरडी न ककळाववी के न आपडी आंतरडी ककळवा देवी, कारण के जो कोकनी आंतरडी ककळे तो आपणी बुराई बेहे, ने जो आपडी चारण नी आंतरडी ककळे तो सामेना नो वंश वेलो मुळथी उखड़ी जाय, माटे सौ पर दयाभाव राखी ने चारणे देव कोटीनुं जीवन व्यतित करवुं )

*ठारो काळज ठाकरा, तो, सोनल रेसे साथ*
*हजार ऐना हाथ,ईतो, जाय ओवारी जोगडा*

(कोक ना काळजां ठारस्यो तो मा सोनबाई सदाय साथे रहेसे, अने एटलुंज नई ए एटली राजी थसे के एना हजारो हाथ थी तमारा ओवारणा लेशे )

*आखुं दळ हो आंधळुं, तो एमा, कांणो राजा कोक*
*मळसे एवाय मोक, पण, जरी न चळवुं जोगडा*

(क्यारेक एवा मोका पण हसे के ज्यारे आखु कटक आंधळु हसे पण गोतवा जतां एनो राजाय कांणो मळे, कोय वाते समजता न होय तेवुं बने तो पण चारणे चलीत थई ने पाता पणुं न गुमाववु )

*(जोगीदान गढवी चडीया कृत चारण निति सतक ना दोहरा)*

आई श्री सोनल वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई  श्री  सोनल  वंदना*
            " *भाव* "
राग..जन्म जन्म का साथ है...

जै सोनल मां सूख कारी मंगल मूरती वाळी,
मढडानां मंदिरमां सोहे आयल आभ कपाळी,
जै सोनल मां सूखकारी...टेक.

चारण तारण कारण जनम लई जोराळी,
कफरा आ कळी काळमां आखी अवन उजाळी,
मोड सधू महमाया खंम्मा हमीर धीडी हेताळी सोनल मां सूखकारी मंगळ मूरती वाळी .1

भूल भूली जा भावथी मां मारी मरमाळी,
होय हजारु गूना बाळकना बिरदाळी,
कदी करीशना कोई गूना हूं नवा हवे नेजाळी सोनल मां सूखकारी मंगळ मूरती वाळी.. 2

हानी हरवा हेतथी आवोने अवतारी,
चित्त चड्यू चकडोळे मूंजाई छे मत मारी,
आंधीमां अटवायो कांठो जडशे केम कृपाळी सोनल मां सूखकारी मंगळ मूरती वाळी.. 3

कोरट तूं छो कायदो न्याय वडो नेजाळी,
छोरु जाणी *दिलजीतने*
माफ करो मरमाळी,
अरज गूजारु चरजमां मूने झट लेजो संभाळी सोनल मां सूखकारी मंगळ मूरती वाळी. 4.

*आई  श्री  सोनल  वंदना*
देस राग आधारीत मां प्रार्थना
*दिलजीत बाटी ना जै माताजी* *ढसा जं.*
*मो.9925263039*

ગુરુવાર, 22 સપ્ટેમ્બર, 2016

आई श्री पीठड मां नी चरज : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई  श्री  पीठड  मां*
            *चरज*
राग..हालीरै ऐ हालीने मारा....

भेलडिये ऐ भूजाळी बेठी बाटी कूळ बीरदाळी जो विघन ऐ हरोने वडहथ वाळीरे
ऐ सोयानी पीठड वेली करजे वारुजो...टेक..

अरणा ऐ अहवारी हाथे हेमनी लाकडी वाळीजो,
मां खाडूं रे लावनारी तूं खमकारी रे ऐ सोयानी पीठड वेली करजे वारुजो....1

जाहलनी ऐ वारे हाल्यो जूनाणानो राजा जो,
तेदी' दरियाने ऐ पीधो तेंतो दयाळी रे ऐ सोयानी पीठड वेली करजे वारुजो....2

नावलडी ऐ नोधारी वावडो वेरी लाग्यो वा'वा जो,
मने वमळेथी ऐ बचावो वालप वाळी रे ऐ सोयानी पीठड वेली करजे वारुजो...3

*दिलजीत* ने ऐ भरोंसो तारो भारी लेळिया वाळी जो,
मां छोरुनी ऐ राखो नित रखवाळी ऐ सोयानी पीठड वेली करजे वारुजो...4

            *दूहो*
तूं विना त्री लोकमां ऐके नही आधार,
हवे' वेली करजे वार पोताना जाणीन पीठबाई,

    आ चरज अमारा कूळदेवी
*आई  श्री  पीठड  मां*
नो मढ भेला' भेलडी' अने बाबरियात आ त्रणे गाम ऐकज बापूना वंश वारसदार ना छे *मूळ गाम भेला* उपरथी  *भेवलिया-बाटी*अमारी शाखा छे आ त्रणे गामनो मढ ऐकज गाम भेलडी मा छे जे आ चरज भेलडिये भूजाळी एवू लख्यू छे आपनी जाण माटे
*दिलजीत बाटी ढसा जं.*
ना जै माताजी मो 9925263039

वीर शदिद माणशी गढवी

आजे वीर शहिद माणशी गढवी नी 13 मी पुण्य तिथी छे.```*

आजे तेमनो जीवन चरित्र आप समक्ष मुकवानो प्रयत्न करेल छे

कच्छना केसरी विरभूमिना कंठी विस्तारना मुंद्रा तालुकाना झरपरा गामना शणगार चारण कुळ गौरव तुंबेल कुळतिलक सेडायत वंश शोर्य मुकुटमणि वीर *माणशी* राष्ट्र रक्षा काजे काश्मीरनी धरती पर कच्छनो कुंवर वीरगतिने वर्यो .
कच्छना शूरवीर चारणो झाराना युध्धमां भुचर मोरीना युध्धमां अने अबडासाना वीर अबडा साथे रही विदेशी आक्रमणो सामे वीरताथी झझुम्या हता.
ज्यारे ज्यारे देश पर दुश्मनोअे मीट मांडी छे.त्यारे त्यारे चारण योध्धाओ क्षत्रियो साथे रही युध्धना मेदानमां वीररसना अमृतपान पाया छे.अने साथे रही युध्धमां भाग लई बलीदानो आप्या छे. आजे चारणोना गामडे गामडे हुतात्माओना पाळीया पूजाय छे.

काश्मीर सरहदे पुंच मध्ये शहिदी वहेरनार वीर माणशीनो जन्म ता. 14//2//1979 ना राजदे सुमार सेडाना घेर माताजी सुंमाबाईनी कुंखे थये हतो.तेओ पितृपक्षे झरपरा गामना स्थापक सेडायतना वंशज सेडा शाखीना हता.
ज्यारे मातृपक्षे कच्छ धराना धर्मरक्षक श्री रावळपीरदादाना नागवंशी गेलवा शाखानुं मोसाळ धरावता हता.जन्मभूमि झरपरा ता.मुंदरा - कच्छ परंतुं तेमना पिता राजदेभाई समाघोघा बाजु वाडी खरीदी स्थिर थया हता . तेथी तेमनुं प्राथमिक शिक्षण समाघोघा प्राथमिक शाळामां थयुं अने त्यारबाद मुंदरा मध्ये धोरण 11 सुधीनुं शिक्षण प्राप्तकरी भारतीय सेनामां जोडाया हता .
देखावे सुंदर तेजस्वी चहेरो धरावनार चारण स्वभावे सरळ निखालस अने प्रेमाळ हता.भारोभार स्वदेशाभिमान धरानता हता .मातृभूमि माटे कांईक करी छुटवानी तम्ना हती .तेथी तेओ सेनामां जोडाया.
12 म्हार युनिटना लायन्स नायक हता .
तेओ जम्मुं - काश्मीरनी पुंच सरहदे ता.22//9//2004 ना आतंकवादओ साथ लडता वीरगति प्राप्त करी .ता.25//9//2004 ना झरपरानी पावनभूमि मध्ये तेमनो पार्थव देह पंचमहाभुतमां विलिन थयो .
समस्त झरपरा गाम साथे रही पुरा सन्मान साथे अंजलि अपाई अेक चारणवीर मातृभूमि काजे मोक्षगति प्राप्त करी आजे झरपरा गामना पादरमां वीर शहिद माणशीनी प्रतिमां प्रेरणा आपती अडीखम रीते उभी छे.बीजा कच्छमां अनेक स्थळोअे अेमनी स्मृतिमां स्मारकोनी रचना करवामां आवी आवी छे.

*_आजे तेमनी 13 मी पुण्यतिथी अे कोटी कोटी वंदन छे_*
  💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*लेखक श्री :-  आशानंदभाई सुराभाई .झरपरा.ता.मुंदरा,कच्छ.*
        *_Mo 9824075995_*

*संदर्भ :- कच्छना चारण रत्नो पुस्तकमांथी लेखक श्री आशानंदभाई सुराभाई.झरपरा.ता.मुंदरा कच्छ*

*खास नोंध :- कच्छना चारण रत्नो पुस्तकनुं हजी विमोचन थयुं नथी तेम छतां आ माहिती आपवा बदल श्री आशानंदभाईनो खूब खूब आभार मानु छुं*

*```तेमज आ अमुल्य माहिती PDF फाईल द्वारा मोकलवा बदल वेजांधभाई गढवीनो पण आभार मानु छुं```*

सहकार आपनार तमाम भाईओ नो खूब खूब आभार

*```टाईप:- charantv.blogspot.com```*
          *``` मनुदान,गढवी,भादरा महुवा```*
          *``` Mo.9687573577```*

         *_माहिती पसंद आवे तो आगळ मोकलवा विनंती_*

वीर शहिद माणशी गढवी

.                        जय माताजी

*``` आजे वीर शहिद माणशी गढवी नी 13 मी पुण्य तिथी छे.```*

आजे तेमनो जीवन चरित्र आप समक्ष मुकवानो प्रयत्न करेल छे

कच्छना केसरी विरभूमिना कंठी विस्तारना मुंद्रा तालुकाना झरपरा गामना शणगार चारण कुळ गौरव तुंबेल कुळतिलक सेडायत वंश शोर्य मुकुटमणि वीर *माणशी* राष्ट्र रक्षा काजे काश्मीरनी धरती पर कच्छनो कुंवर वीरगतिने वर्यो .
कच्छना शूरवीर चारणो झाराना युध्धमां भुचर मोरीना युध्धमां अने अबडासाना वीर अबडा साथे रही विदेशी आक्रमणो सामे वीरताथी झझुम्या हता.
ज्यारे ज्यारे देश पर दुश्मनोअे मीट मांडी छे.त्यारे त्यारे चारण योध्धाओ क्षत्रियो साथे रही युध्धना मेदानमां वीररसना अमृतपान पाया छे.अने साथे रही युध्धमां भाग लई बलीदानो आप्या छे. आजे चारणोना गामडे गामडे हुतात्माओना पाळीया पूजाय छे.

काश्मीर सरहदे पुंच मध्ये शहिदी वहेरनार वीर माणशीनो जन्म ता. 14//2//1979 ना राजदे सुमार सेडाना घेर माताजी सुंमाबाईनी कुंखे थये हतो.तेओ पितृपक्षे झरपरा गामना स्थापक सेडायतना वंशज सेडा शाखीना हता.
ज्यारे मातृपक्षे कच्छ धराना धर्मरक्षक श्री रावळपीरदादाना नागवंशी गेलवा शाखानुं मोसाळ धरावता हता.जन्मभूमि झरपरा ता.मुंदरा - कच्छ परंतुं तेमना पिता राजदेभाई समाघोघा बाजु वाडी खरीदी स्थिर थया हता . तेथी तेमनुं प्राथमिक शिक्षण समाघोघा प्राथमिक शाळामां थयुं अने त्यारबाद मुंदरा मध्ये धोरण 11 सुधीनुं शिक्षण प्राप्तकरी भारतीय सेनामां जोडाया हता .
देखावे सुंदर तेजस्वी चहेरो धरावनार चारण स्वभावे सरळ निखालस अने प्रेमाळ हता.भारोभार स्वदेशाभिमान धरानता हता .मातृभूमि माटे कांईक करी छुटवानी तम्ना हती .तेथी तेओ सेनामां जोडाया.
12 म्हार युनिटना लायन्स नायक हता .
तेओ जम्मुं - काश्मीरनी पुंच सरहदे ता.22//9//2004 ना आतंकवादओ साथ लडता वीरगति प्राप्त करी .ता.25//9//2004 ना झरपरानी पावनभूमि मध्ये तेमनो पार्थव देह पंचमहाभुतमां विलिन थयो .
समस्त झरपरा गाम साथे रही पुरा सन्मान साथे अंजलि अपाई अेक चारणवीर मातृभूमि काजे मोक्षगति प्राप्त करी आजे झरपरा गामना पादरमां वीर शहिद माणशीनी प्रतिमां प्रेरणा आपती अडीखम रीते उभी छे.बीजा कच्छमां अनेक स्थळोअे अेमनी स्मृतिमां स्मारकोनी रचना करवामां आवी आवी छे.

*_आजे तेमनी 13 मी पुण्यतिथी अे कोटी कोटी वंदन छे_*
  💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*लेखक श्री :-  आशानंदभाई सुराभाई .झरपरा.ता.मुंदरा,कच्छ.*
        *_Mo 9824075995_*

*संदर्भ :- कच्छना चारण रत्नो पुस्तकमांथी लेखक श्री आशानंदभाई सुराभाई.झरपरा.ता.मुंदरा कच्छ*

*खास नोंध :- कच्छना चारण रत्नो पुस्तकनुं हजी विमोचन थयुं नथी तेम छतां आ माहिती आपवा बदल श्री आशानंदभाईनो खूब खूब आभार मानु छुं*

*```तेमज आ अमुल्य माहिती PDF फाईल द्वारा मोकलवा बदल वेजांधभाई गढवीनो पण आभार मानु छुं```*

सहकार आपनार तमाम भाईओ नो खूब खूब आभार

*```टाईप:- charantv.blogspot.com```*
          *``` मनुदान,गढवी,भादरा महुवा```*
          *``` Mo.9687573577```*

         *_माहिती पसंद आवे तो आगळ मोकलवा विनंती_*

બુધવાર, 21 સપ્ટેમ્બર, 2016

नथी रे क्रोधाळी मोगल : रचना :- काळुभा बुधसी

*```काळुभा बुधसी रचीत आई श्री मोगलमां नी रचना```*

          *नथी रे क्रोधाळी मोगल*
       (राग मढडावाळी माताने वंदन अमारा)

नथी रे क्रोधाळी मोगल नथी रे क्रोधाळी..
माता ममताळी मारी भगुडारे वाळी...

अरध साद आपता अे वेगथी रे आवती.
हेताळी छोरु पर सदा हेत वरसावती.
चकली बनीने बाई प्रमाणो पुरनारी .
          नथी रे क्रोधाळी मोगल नथी रे क्रोधाळी..

देह अभडावी कोई असत खाद्य चाखतो .
भुली भान मदीराने देह मां अे नाखतो.
पछी प्रेमवाळी अेने लागे विकराळी.
          नथी रे क्रोधाळी मोगल नथी रे क्रोधाळी..

करी पाप पछी दोष आईने शुं देवा .
करम रे प्रमाणे भाई पडे दु:ख अेवा .
छतां दु:ख कापी करे क्रिपा रेमवाळी .
           नथी रे क्रोधाळी मोगल नथी रे क्रोधाळी..

कुडा काळमां तु भाळ राखजे कृपाळी.
सदा स्नेह दियो अेवी आरदा अमारी.
छोरु *"काळु"* नी लेजो अरजी स्वीकारी .
           नथी रे क्रोधाळी मोगल नथी रे क्रोधाळी..

*_रचियता :- काळुभा बुधसी, ढसा_*
               *_Mo. 973-723-2037_*

संदर्भ :- भगुडावाळी भगवती , पुस्तकमांथी लीधेल.

*टाईप :-  charantv.blogspot.com*

जोगीदानभाई गढवी (चडीया ) कृत निति सतक ना दोहरा मांथी ) रचना :- जोगीदान गढवी

*आपि दियो अंबाडियुं,तोय, लिये छांणां मा लोभ*

*मोटा जण ने मोभ, जरी न समाजों जोगडा*

(जेने हाथी नी अंबाडीये बेसाडो ए नुं ध्यान नीचे छांणां मां होय तो एने मोभ एटले के दोरीयां अने वळा नो आधार बनी ऐ छत थासे एवुं न समजवुं)

*कूळ हिणां ने जै करो, अछोय वानां आप*
तोय
*तपसे खोटो ताप, जात न मेले जोगडा*

(अ योग्य ने तमें असोवांना करो तोय ई एना कुळ ना लक्षणे  खोटो ताप एटले के तामसी पणां मा आवसे एना जाती लक्षण जळक्या विना नई रहे)

*अण जांण्ये जळ उतरवुं, भार भरोहो भाम*
*कर्या जेवां नई काम, जगमां कोदण जोगडा*

(अजाण्यां पांणी मां उतरवुं तथा भाम ना भरोंहा पर भार भार मुकवो आ बंन्ने काम कर्या जेवां नई, अपवाद रुप ने बाद करतां)

*कुंडा भरो न कोयदी, रंग तणां सुंण राव*
नके
*उठीन के नई आव, जुकवा वाळाय जोगडा*

( रंग ना छांटणा होय कुंडा न भराय एटले के जेनी साथे  जे डीस्टन्स मेन्टेन करवुं पडतुं होय ई करवुंज पडे नहीतर जे माथु नमावी जुकता होय ते पछी आवो केहवा उभा थवानी पण तस्ती न लीये अर्थांत मान जळवावुं मुस्केल थाय)

*पेट न गणींये पारकुं, अधीक न करवी आस*
*जांणो समतळ जोगडा , अल्प जमण उपवास*

(अनाज पारकुं होय पण पेट तो पोतानुंज होय छे ने, माटे अधीक नी आसा न करवी,कारण के अल्प आहार ए पण उपवास ना समोवड छे)

*(जोगीदान गढवी (चडीया ) कृत निति सतक ना दोहरा मांथी )*

आई श्री पीठड वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई  श्री  पीठड*
         "चरज"
राग..लळी लळी पाय लागू...

नवखंडमा नाम तारु मां कांडू
जालो मारुरे, पीठड माडी..टेक

हवे धा'सूणीने ध्रोडो में कीधा गूना करोडो,
माजी ना मूख म्रोडोरे पीठड माडी...1...नवखंडमां

महातमछे मानू मोटूं खलकमा
बधू खोटूं,
देवी क्यां बिजे दोटूंरे पीठड माडी...2.. नवगंडमां

अमने छे आजो तारो आवीने मां उगारो,
विघन बधा विडारोरे पीठड माडी...3...नवखंडमां

भवदधी छे भरेलो त्रापो महि
त्रृटेलो,
हळवेथी देजो हेलोरे पीठड माडी...4...नवखंडमां

फळ फूलथी फूलेली अम वंश हूंदी वेली,
बळवंत रेजो बेलीरे पीठड माडी...5...पवखंडमां

छे मां छोरुनो नातो भूल्यो नथी भूलातो,
जोजे न करीश जातोरे पीठड माडी...6...नवखंडमां

*दिलजीत* ने बाळ जाणी करो लाड केरी *लाणी*,
बूढी छो *बाटीयाणी*रे पीठड
माडी...7...नवखंडमां नाम

*आई  श्री  पीठड  वंदना*

*दिलजीत बाटी  ढसा जं.*
ना जै माताजी.मो.9925263039

મંગળવાર, 20 સપ્ટેમ્બર, 2016

मोगल सेना आयोजीत समाज रत्नोने शब्दांजली

आई श्री पीठड स्तूती : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई  श्री  पीठड*
          *स्तूती*
         
           ॥दूहो॥
कूळ देवी करुणा करी बेलू थाजो बाई,
बांय ग्रही तव बाळक ने मां
उगारी लेजो आई,
       *छंद दूर्मिला*
सब काज सूधारिये आई ओधारिये,
विघ्न विडारिये वेग करी,
अरिया उथलाविये अटके आविये,
ढाळिये दोखिया तेग धरी,
बळवंत ब्रदाळिये मां-मरमाळिये,
सायते आविये सेवग ने,
परचाळिय पीठड पार उतारिये ,
बांय ग्रही तव बाळकने...1

शकित शूध चारण तरण तारण,
भार उतारण-भू-परथी,
अम कूळ उजाळण तिमीर टाळण,
पाप प्रजाळण प्रथम थी,
सहू ताप समावण नेह निभावण,
हैये वधारण हरख ने,
परचाळिय पीठड पार उतारिये,
बांय ग्रही तव बाळकने,...2

दैयता कूळ डारत पूंह पछारत भूमी मे भारत भूज बळे,
फेफरा रन फारत खंडमें खारत,
टारत दानव तेग तळे,
नवखंड निहारत यूध्ध उचारत
आवी उगारत अंगतने,
परचाळिय पीठड पार उतारिये,
बांय ग्रही तव बाळकने...3

नवघण निहर्यो आवी उतर्यो
पाय नम्यो धरी पाघ तने,
देवी दूःखनो दरियो आज उछळियो,
आई हरी लीयो आफत ने,
*दिलजीत* 'पी दरियो हमीर हणियो,
जशथी लावियो जाहलने,
परचाळिय पीठड पार उतारिये,
बांय ग्रही तव बाळक ने,

*आई श्री पीठड स्तूती*

*दिलजीत बाटी ना*
      *जै माताजी*
ढसा जं.
*मो.9925263039*

मां मोगल वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*मां मोगल वंदना*
   
         *चरज*
राग..मारु संदेशो मोकले...

ओखा धराने उजाळवा आवी मोगल रुपे मात,
भळिया वाळी भजिये तूने विश हथी विख्यात,...1

काळा सर्पो नो कोरडो हाथे तेग खूली तलवार,
यूधे मंडाणी आईमां तेदी दैय्त डोलावण हार...2

दैय्तो जेदी हूकळ्या ऐणे लोपी सीमाडा नी लाज,
रथडों मेलीन रणमां कूदी तूं चारणो नी सरताज....3

आंखडी ताणी आई खिजाणी
डोल्या दशे दिग्गपाळ,
शेष धरा ने काचबो कंप्या तूं
वेगे बनी विकराळ....4

मेली मरजादा मूगलाऐ तारा अंगडा माग्या आई,
तेदी'भेळियानी तें भेट वाळीने तूं बव खीजाणी बाई....5

शिष आकाशे पग पाताळे विह भूजा विख्यात,
दैय्तो हूंदो दाट वाळ्यो ने घट
मिटावण घात,...6

भाव थी भजे *दिलू* भेवलियो
अंतरनी पूरो आश,
याद करंता आवजो माडी खबरु लेवा खास,...7

*जै मां मोगल वंदना*
*दिलजीत बाटी ना*
जै मायाजी *ढसा जं*
*मो.9925263039*

સોમવાર, 19 સપ્ટેમ્બર, 2016

मां सोनल वंदना_ चरज : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*मा सोनल वंदना*
           *चरज*
राग.हळवे पोंखोरे तमे धीरे...

आवता रेजो रे मां आवता रेजो रे,
युगे यूगे अवतार लुई ने आवता रेजो रे,
उजाळता रेजो रे मां उजाळता रेजो रे,
शूध कूळ छे आदी चारणो नू उजाळता रेजो रे....टेक..

होय जो गूना रे मां जूग ना जूना रे,
माफी आपीने अमने उगारता रेजो रे..1

नावडी जूनीरे मां वावडो धूनीरे,
दधी दोयलो तोफानी तरवो तारता रजो रे...2

सत्त ना चूके रे पापे पग ना मूके रे,
सहू चारणो ने शिख मां रुडी आपता रेजो रे...3

नथी नोधारा रे अमे टायला तारा रे,
परचा वाळी पोतावट पाळता रेजो रे...4

फळ फूल थी फैली रे अमाणा वंशनी वेली रे,
रखवाळी मां रात-दी-सोनल राखता रेजो रे..5

खोळले लेजो रे हरियाळी हेत नी देजो रे,
छोरु जाणी *दिलजीत* ने मां
संभाळता रेजो रे...6
        आवता रजो रे मां-

*मां सोनल भाव वंदना*

*दिलजीत बाटी* *ढसा जं.*
*ना जै माताजी*
*मो ..9925263039*

चरज : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*चारण आई शकति वंदना*

        *चरज*
         "राग"
काना कर दलनी वातडियूं,..

झालजो बावडियूं नोधारी तारजे नावडियूं,
बूढी हवे झालजो बावडियूं..टे

सात सायर तमे सामटां पीधा
सत्तथी चारणियूं,
अबळा कारण यूध्धमां आवी
'जंग' जीतवा जोगणियूं,   "
बूढी हवे झालजो बावडियूं..1

खूब खिजाणी रणमां कूदी यूध्ध तें आदरियूं,
मूगला ऐ माना अंगडा माग्या तां चिरियूं चामडियूं,      "
बूढी हवे झालजो बावडियूं..2

सिंहण रुपे चारणी आवी सूणता सादडियूं,
थडक्यो अकबर थरहर्या ऐना
बाळ ने बिबडियूं,        "
बूढी हवे झालजो बावडियूं..3

गीर गांडी ने वन वगडां मां
चोकियूं चापलन्यूं,
वेडी शके नही सिंह सादूळो   ऐक' वाहा नू वाछरडूं,       "
बूढी हवे झालजो बावडियूं..4

जानल सोनल जीवणी जपिये
चारण्यूं सामटियूं,
आशापूरा आई आवड आवो
पाये धरिये पाघडियूं,     "
बूढी हवे झालजो बावडियूं..5

राजल पीठड आई रवेची मोगल मावडियूंय,
अनेक रुपो आई तमाणा    "
धींगियूं धाबळियूं,
बूढी हवे झालजो बावडियूं..6

वमळे चड्यू व्हाण अमारु आरदू आवडियूं,
करो किनारे करणी आवी    " 'जाजा' जळथी जहांजडियूं,
बूढी हवे झालजो बावडियूं..7

छोरु जाणी मने शरणू देजो
मांडज्यो मिटडियूं,
चारण *दिलजीत*चरजू गावे
सांभळो शकितयूं,
बूढी हवे झालजो बावडियूं..8

*चारण आई शकित वंदना*
*सर्व शकित भ्यो नमः*

*दिलजीत बाटी ना*
*जै माताजी* *ढसा जं.*
*मो.9925263039*

રવિવાર, 18 સપ્ટેમ્બર, 2016

बी.के गढवी साहेब की पुण्यतिथी

आज श्रद्धेय स्व. बी.के.गढ़वी साहब की पुण्यतिथि पर शत शत नमन !!!
बी के गढ़वी साहब चारण गढ़वी समाज की वो शख्सियत थे जिन्होने अपने जीवन मे राजनिति , समाजसेवा , प्रशासन के क्षेत्र में उच्च किर्तीमान स्थापित किये.उनके पास पहुंचे समाज के हर एक व्यक्ति व संस्थान को सदैव असीम सहयोग दिया.
विभिन्न उच्च पदों पर रहते हुए व केन्द्र सरकार में  मन्त्री रहते हुए कई महत्वपुर्ण कार्यों से समाज के गांवो मे विकास करवाया.आज समाज के सर्वप्रिय सर्वमान्य अध्यक्ष सी डी देवल साहब भी
उन्हि का अनुसरण करते हैं.
उनका कृतित्व व व्यक्तित्व हमारे लिये सदैव वंदनीय रहैगा.
चारणाचार पत्रिका

कानुडो काळो काळो

आजे भादरवा वद-बीज ऐटले
भजन ना भेरु संतवाणी ना सूर स्वर साधक ऐवा पूज्य चारण महात्मा नारायणनंद सरस्वती नी निर्वाण तिथी छे
*पूज्य नारायणबापू नी जै*

पूज्य बापू ना स्वर मां गायूलू
ऐकाद भजन नू स्मरण करी
बापू नी याद ने फरी ताजी करी पावन थाई
*जै नमो नारायण*
         *भजन*
कानूडो काळो काळो राधा छे
गोरी गोरी,
छे ऐक नवल कीशोर छे ऐक नवल कीशोरी,
कानूडो काळो काळो...टेक

मन वश करीने जोता शूध प्रेम
झाखी थाये,
अज्ञानी जीव जाये ज्यां मनडूं
जाय दोरी,
कानूडो काळो काळो...1

छे प्रेम सर्व व्यापी वहेमी जनो शू जाणे,
अज्ञनी ने अनाडी उंघणसी ने अघोरी,
कानूडो काळो काळो..2

घायल गतीने घायल जे होय तेज जाणे,
कोई गयू मूज धोळे दि-ने रदय चोरी,
कानूडो काळो काळो..3

सत्तारशा निजामी प्रेमीनी छे मूनादी,
प्रिती करोतो ऐवी जेम चंद्र ने
चकोरी,
कानूडो काळो काळो..4

*ब्रह्मलीन पू.नारायण स्वामी* ने *दिलजीत बाटी*
नी करोडो *वदना*